
जनसुराज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने भागलपुर के सर्किट हाउस में प्रेस से बातचीत के दौरान स्पष्ट किया कि अगर उनकी पार्टी को सत्ता में आने का मौका मिला तो शिक्षा व्यवस्था में सुधार उनकी शीर्ष प्राथमिकता होगी।
उन्होंने कहा कि “पहले गांव के स्कूलों से पढ़कर छात्र आईएएस और इंजीनियर बनते थे। खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गांव में पढ़ाई कर इंजीनियर बने। लेकिन अब मैट्रिक पास करने के लिए भी छात्रों को ट्यूशन की जरूरत होती है, जो हमारी शिक्षा व्यवस्था की विफलता को दर्शाता है।”
आरसीपी सिंह ने बताया कि उनकी पार्टी का चुनाव चिह्न “स्कूल का बस्ता” है, जो शिक्षा को केंद्र में रखने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इसके लिए उन्होंने चुनाव आयोग का आभार भी प्रकट किया।
राजनीति में निशांत कुमार की एंट्री पर बोले:
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार की राजनीति में संभावित एंट्री पर पूछे गए सवाल के जवाब में आरसीपी सिंह ने कहा, “वह अब 25 वर्ष के हो चुके हैं। भारतीय लोकतंत्र में इस उम्र के बाद राजनीति में प्रवेश करना अधिकार है और इस पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए।”
वोटर लिस्ट संशोधन पर सवाल:
आरसीपी सिंह ने चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची में चल रहे संशोधन कार्य पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया जल्दबाजी में शुरू की गई है, और ग्रामीण क्षेत्रों में बीएलओ के पास जानकारी जुटाने में व्यावहारिक समस्याएं आ रही हैं।
उन्होंने सुझाव दिया कि आयोग को ऐसी प्रणाली अपनानी चाहिए जिससे सही और जीवित मतदाता ही सूची में दर्ज हों, और किसी भी वास्तविक मतदाता का नाम अनजाने में न छूटे।