
Bhagalpur News: दिव्यांगजनों और वरिष्ठ नागरिकों की मदद के उद्देश्य से भागलपुर के सैंडिश कंपाउंड में लगाए गए सहायता उपकरण वितरण शिविर में अव्यवस्था और कुव्यवस्था का आलम देखने को मिला। जनकल्याण की मंशा से आयोजित यह शिविर, लाभुकों के लिए असुविधा का पर्याय बन गया।
एडीआईपी (ADIP) और राष्ट्रीय वयोश्री योजना के तहत आयोजित इस शिविर में भागलपुर ही नहीं, बल्कि बांका और मुंगेर जिलों से भी बड़ी संख्या में दिव्यांग और वरिष्ठ नागरिक पहुंचे थे। लाभुकों को सुबह 9 बजे बुलाया गया था, लेकिन उन्हें यह कहकर घंटों बैठाए रखा गया कि उपकरणों का वितरण दोपहर 4 बजे शुरू होगा।
प्यासे, भूखे और उपेक्षित – लाभुकों की व्यथा
शिविर में पहुंचे कई दिव्यांगों ने बताया कि वे सुबह से भूखे-प्यासे वहीं बैठे थे। एक लाभार्थी ने कहा, “हम लोग सुबह से यहां बैठे हैं। न पानी है, न शौचालय। बहुत तकलीफ हो रही है।”
वहीं एक बुजुर्ग ने रोष जाहिर करते हुए कहा, “हम ठीक से चल नहीं सकते, लेकिन इतनी देर तक जमीन पर बैठा दिया। कोई देखने-सुनने वाला नहीं है।”
प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल
इतनी बड़ी संख्या में लोगों के एकत्र होने के बावजूद शिविर में पीने के पानी, बैठने की उचित व्यवस्था और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं तक नहीं थीं। जब मीडिया कर्मियों ने मौके पर मौजूद अधिकारियों से इस अव्यवस्था को लेकर सवाल पूछने की कोशिश की, तो वे कैमरे से बचते नजर आए और कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया।
जनसेवा या सिर्फ औपचारिकता?
सहायता शिविर को जनसेवा के नाम पर प्रचारित किया गया था, लेकिन वास्तविकता इससे उलट दिखाई दी। घंटों धूप और भूख-प्यास से परेशान दिव्यांगों और बुजुर्गों के लिए यह शिविर राहत कम, पीड़ा ज्यादा लेकर आया।
यह घटना एक बार फिर सरकारी आयोजनों की तैयारी और जमीनी सच्चाई के बीच की खाई को उजागर करती है। ज़रूरतमंदों को सहूलियत देने के बजाय उन्हें और कठिनाइयों में डालना व्यवस्था की गंभीर खामियों को दर्शाता है।
“जनसेवा तभी सार्थक मानी जाएगी जब उसका लाभ बिना अपमान और तकलीफ के जरूरतमंदों तक पहुंचे। वरना ये महज एक दिखावा बनकर रह जाता है।” – एक दिव्यांग लाभार्थी