
सुल्तानगंज: श्रावण मास में शिवभक्ति की अटूट आस्था और भक्ति की शक्ति के अद्भुत दृश्य सुल्तानगंज से देवघर तक के कांवड़ पथ पर देखने को मिलते हैं, लेकिन इस बार एक दिव्यांग कांवड़िया ने श्रद्धा और संकल्प की एक ऐसी मिसाल कायम की है, जिसने हर किसी को भावुक कर दिया।
कोलकाता से आए दिव्यांग श्रद्धालु रंजीत चटर्जी, जो पैरों से चलने में असमर्थ हैं, बाबा भोलेनाथ की भक्ति में इस कदर डूबे हैं कि हथेलियों और घुटनों के बल रेंगते हुए सैकड़ों किलोमीटर की कठिन यात्रा तय कर रहे हैं। उनका एक ही लक्ष्य है — देवघर पहुंचकर उत्तरवाहिनी गंगाजल से बाबा बैद्यनाथ का जलाभिषेक करना।
आस्था से भरा कांवर पथ:
श्रावणी मेले के दौरान लाखों श्रद्धालु 105 किलोमीटर की पदयात्रा पर निकलते हैं, लेकिन रंजीत की यह यात्रा केवल शारीरिक कठिनता नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक दृढ़ता की प्रतीक बन गई है। कांवर पथ पर उनकी रेंगती हुई यात्रा को देख हर श्रद्धालु नमन करता नजर आया।
बाइट – रंजीत चटर्जी, दिव्यांग कांवड़िया:
“भोले बाबा की कृपा से ही यह यात्रा संभव हो रही है। शरीर भले थक जाए, लेकिन मन में विश्वास और श्रद्धा है तो कोई रास्ता मुश्किल नहीं।“
रंजीत की यात्रा ने न केवल कांवड़ियों को, बल्कि प्रशासन और आम श्रद्धालुओं को भी झकझोर कर रख दिया है। कई लोग उन्हें राह में सहायता पहुंचा रहे हैं, भोजन व विश्राम की व्यवस्था कर रहे हैं।
श्रद्धा की पराकाष्ठा:
इस दृश्य ने यह साबित कर दिया कि भक्ति के मार्ग में शारीरिक बाधाएं कोई मायने नहीं रखतीं। शिवभक्ति का यह जज़्बा सावन के पवित्र महीने को और भी भावनात्मक व प्रेरणादायक बना देता है।