
सुल्तानगंज: सावन माह में श्रद्धा और आस्था का रंग हर ओर छाया हुआ है। सुल्तानगंज से बाबा बैद्यनाथ धाम, देवघर तक की 105 किलोमीटर लंबी कांवड़ यात्रा पर लाखों श्रद्धालु पदयात्रा कर रहे हैं। इस यात्रा के दौरान एक भावनात्मक और अनोखा दृश्य सबका ध्यान आकर्षित कर रहा है — एक कांवड़िया ने अपनी कांवड़ में केवल गंगाजल ही नहीं, अपने छोटे बच्चे को भी विराजमान किया है।
कोलकाता से आए रंजीत, एक श्रद्धालु, ने अपनी आस्था की मिसाल पेश करते हुए अपनी मन्नत पूरी होने पर बच्चे को कांवड़ में बिठाकर बाबा धाम की यात्रा शुरू की है। उनकी कांवड़ की एक ओर गंगाजल से भरी कलश, वहीं दूसरी ओर मासूम बेटा आराम से बैठा है।
रंजीत ने बताया कि उन्होंने बाबा भोलेनाथ से संतान की मन्नत मांगी थी। उनकी मन्नत पूरी हुई और उन्होंने संकल्प लिया था कि यदि संतान होगी, तो वे उसे साथ लेकर देवघर की पदयात्रा करेंगे। आज वह संकल्प पूरा करते हुए अपने पुत्र को साथ लेकर भक्ति की इस कठिन लेकिन पावन यात्रा पर निकल पड़े हैं।
यह दृश्य न केवल अडिग श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भक्त अपने जीवन की सबसे बड़ी खुशियों को भी भगवान के चरणों में अर्पित करना नहीं भूलते। रंजीत की यह अनोखी कांवड़ हर किसी के लिए आस्था, प्रेम और कर्तव्य का जीवंत उदाहरण बन गई है।