
Bhagalpur News: भागलपुर जिले के पीरपैंती थाना क्षेत्र के झामर गांव में 1 जून की रात एक अपहरण मामले में की गई पुलिस छापेमारी विवादों में घिर गई है। डीएसपी-02 डॉ. अर्जुन कुमार गुप्ता के नेतृत्व में हुई इस कार्रवाई के दौरान पुलिस पर अभद्रता, महिलाओं से गलत व्यवहार और मारपीट के गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
क्या है मामला?
घटना का केंद्र मिलन सिंह का घर है, जिन पर उनके सौतेले भाई सुदीप सिंह ने अपहरण का आरोप लगाया था। इसी शिकायत पर कार्रवाई करते हुए पुलिस टीम गांव पहुंची। हालांकि, कुछ ही घंटों बाद सुदीप सिंह ने थाने में उपस्थित होकर लिखित बयान दिया कि उसका अपहरण नहीं हुआ है, जिससे पूरे मामले की गंभीरता पर सवाल खड़े हो गए हैं।
परिवार का आरोप: पुलिस ने किया बर्बर व्यवहार
मिलन सिंह और उनके परिजनों का कहना है कि उन्हें किसी भी प्राथमिकी (FIR) की जानकारी नहीं दी गई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस अचानक घर में घुस गई, महिलाओं के साथ दुरव्यवहार किया और घर का सामान उलट-पुलट कर बिखेर दिया।
मिलन सिंह की पत्नी का आरोप है कि डीएसपी अर्जुन कुमार गुप्ता स्वयं उनके कमरे में आए और उन्हें डराने-धमकाने का प्रयास किया।
कोई आपत्तिजनक सामान बरामद नहीं, बेटे की गिरफ्तारी और रिहाई
छापेमारी के दौरान पुलिस को कोई आपत्तिजनक वस्तु नहीं मिली, लेकिन फिर भी मिलन सिंह के पुत्र अभिनव को हिरासत में ले लिया गया। बाद में अदालत में पर्याप्त साक्ष्य न मिलने के कारण न्यायालय ने उन्हें रिहा कर दिया।
पुलिस का पक्ष: कार्रवाई निर्देशानुसार
इस पूरे मामले पर पीरपैंती थानाध्यक्ष नीरज कुमार ने कहा कि,
“वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर ही छापेमारी की गई थी और पुलिस ने सिर्फ अपनी ड्यूटी निभाई है।”
शिकायत की गई, निष्पक्ष जांच की मांग
मिलन सिंह ने घटना के संबंध में लिखित शिकायत वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को ईमेल और कॉल के माध्यम से भेज दी है। उन्होंने पूरे मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।
कानूनी विशेषज्ञों की राय
विधिक विशेषज्ञों का कहना है कि यदि शिकायतकर्ता स्वयं अपहरण की बात से इनकार करता है और पुलिस की कार्रवाई में अनियमितता पाई जाती है, तो इसकी स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच आवश्यक है।
इसके अलावा महिलाओं से बदसलूकी के आरोप भी कानूनन गंभीर अपराध की श्रेणी में आते हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।