
भागलपुर: बिहार के कई जिले इन दिनों गंगा नदी में आए उफान के कारण बाढ़ की चपेट में हैं। बक्सर से लेकर भागलपुर तक गंगा के निचले इलाकों में पानी भर गया है और जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो चुका है। भागलपुर का गौरव कहे जाने वाला तिलकामांझी विश्वविद्यालय भी इस आपदा से अछूता नहीं रहा। चारों ओर पानी से घिर जाने के कारण यह अब टापू की तरह नजर आ रहा है।
विश्वविद्यालय परिसर में पानी का स्तर लगातार बढ़ रहा है, जिससे पठन-पाठन की नियमित गतिविधियों पर असर पड़ा है। बाढ़ की गंभीर स्थिति को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने कक्षाओं को अस्थायी रूप से बंद कर दिया है, हालांकि कार्यालयों का कामकाज फिलहाल जारी है। पानी से घिरे होने के कारण छात्र, शिक्षक और कर्मचारी अब नाव के सहारे आ-जा रहे हैं। इस स्थिति में दैनिक गतिविधियों को बनाए रखना भी कठिन हो गया है।
बाढ़ के बीच एक और चुनौती सामने आई है — राष्ट्रपति का संभावित भागलपुर दौरा। जानकारी के अनुसार, राष्ट्रपति तिलकामांझी की प्रतिमा का अनावरण करने के लिए विश्वविद्यालय आने वाले हैं। हालांकि कार्यक्रम की आधिकारिक तारीख अभी तय नहीं हुई है, लेकिन तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। बाढ़ के इस विकट माहौल में कार्यक्रम को सफलतापूर्वक आयोजित करना विश्वविद्यालय और जिला प्रशासन के लिए बड़ी परीक्षा साबित हो रहा है।
विश्वविद्यालय प्रशासन और जिला प्रशासन मिलकर कार्यक्रम स्थल तक सुरक्षित पहुंच, अतिथियों के स्वागत और आयोजन की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करने की योजना बना रहे हैं। बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में अस्थायी रास्ते, नाव सेवा और पानी निकासी जैसे उपायों पर भी विचार किया जा रहा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि गंगा का जलस्तर पिछले एक हफ्ते से लगातार बढ़ रहा है और अगर पानी का स्तर और बढ़ा तो विश्वविद्यालय के भीतर और बाहर दोनों जगह की स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। वहीं मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों में और बारिश की संभावना जताई है, जिससे प्रशासन की चिंताएं और बढ़ गई हैं।
बाढ़ की मार झेल रहे छात्रों और कर्मचारियों के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने वैकल्पिक व्यवस्था पर भी विचार शुरू कर दिया है, ताकि शैक्षणिक कार्य पूरी तरह से बाधित न हों। इस बीच, राष्ट्रपति के दौरे को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं, लेकिन बाढ़ के साए में यह कार्यक्रम सभी के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने है।