
सुल्तानगंज/भागलपुर: श्रावणी मेले में गंगा किनारे एक ऐसा दृश्य देखने को मिला जिसने श्रद्धालुओं और आमजनों का मन मोह लिया। हावड़ा (पश्चिम बंगाल) से आए 40 युवाओं की टोली ने 150 किलो वजनी भव्य कांवड़ के साथ बाबा बैद्यनाथ धाम (देवघर) की यात्रा का शुभारंभ किया। यह कांवड़ न केवल वजन में भारी है, बल्कि इसकी कलात्मकता और धार्मिक महत्व ने सबका ध्यान खींचा।
चारधाम की झलक इस एक कांवड़ में
इस विशेष कांवड़ में भारत के चार प्रमुख तीर्थस्थलों – बद्रीनाथ, द्वारका, रामेश्वरम और जगन्नाथ पुरी के मंदिरों की खूबसूरत आकृति सजाई गई है। यह अनूठा स्वरूप “चारधाम” की दिव्यता और भक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। टीम के सदस्यों ने बताया कि यह पूरी कांवड़ उन्होंने स्वयं डिज़ाइन और तैयार की है। हर वर्ष वे कुछ नया और भक्तिमय स्वरूप लाने की कोशिश करते हैं।
40 युवाओं की टोली, 150 किलो की कांवड़
150 किलो वजनी इस भव्य कांवड़ को 40 सदस्यीय टोली बारी-बारी से उठाती है। गंगाजल भरते ही इन श्रद्धालुओं ने अपनी पवित्र यात्रा आरंभ कर दी है जो देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ मंदिर तक जाएगी। पूरे मार्ग में यह कांवड़ श्रद्धालुओं और दर्शकों के लिए आस्था, भक्ति और आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
श्रद्धा और समर्पण का अद्भुत उदाहरण
यह यात्रा न केवल धार्मिक भावना से जुड़ी हुई है, बल्कि भारतीय कला, संस्कृति और सामूहिक समर्पण का उत्कृष्ट उदाहरण भी है। अपने पूरे तन, मन और धन से बाबा भोलेनाथ की सेवा में समर्पित यह टोली सभी के लिए प्रेरणा बन रही है।