
Health News: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (TMBU) में विद्यार्थियों और कर्मचारियों की स्वास्थ्य देखभाल के लिए बना विश्वविद्यालय अस्पताल खुद बदहाली की कगार पर है। अस्पताल की मौजूदा स्थिति ऐसी है कि जहां इलाज की उम्मीद लेकर लोग आते हैं, वहां बुनियादी चिकित्सा सुविधा तक उपलब्ध नहीं है।
सिर्फ नाम का अस्पताल, न दवाएं न डॉक्टर
फिलहाल अस्पताल में केवल एक डॉक्टर और एक कंपाउंडर कार्यरत हैं — वह भी संविदा पर नियुक्त। अस्पताल में न तो आवश्यक दवाइयों का स्टॉक है, और न ही किसी तरह की जांच की सुविधा मौजूद है। अस्पताल में रखे गए आधुनिक चिकित्सा उपकरण उपयोग के अभाव में धूल फांक रहे हैं।
भीषण गर्मी में इलाज के लिए जद्दोजहद
गर्मी के मौसम में अगर कोई छात्र या स्टाफ बीमार पड़ जाए, तो उसे या तो महंगे निजी क्लीनिक की शरण लेनी पड़ती है या फिर 5 किलोमीटर दूर मायागंज अस्पताल जाना होता है। विश्वविद्यालय की ओर से उन्हें समय पर कोई प्राथमिक उपचार तक नहीं मिल पाता।
छात्रों ने उठाए सवाल
छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन नामांकन और सेमेस्टर फीस के साथ मेडिकल सुविधाओं के नाम पर अतिरिक्त राशि वसूलता है, लेकिन अस्पताल की स्थिति किसी उप-स्वास्थ्य केंद्र से भी बदतर है।
प्रशासन की चुप्पी और जिम्मेदारी का सवाल
सवाल यह उठता है कि जब विश्वविद्यालय प्रशासन को छात्र-कल्याण और स्वास्थ्य सुविधा सुनिश्चित करनी चाहिए, तब इस तरह की लापरवाही क्यों बरती जा रही है? अस्पताल खुद ही जब बीमार है, तो पूरे विश्वविद्यालय परिवार की स्वास्थ्य सुरक्षा का जिम्मा कौन उठाएगा?
इस गंभीर स्थिति को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन से तत्काल संज्ञान लेने और अस्पताल में आवश्यक चिकित्सा स्टाफ, दवाएं और उपकरणों के सक्रिय उपयोग की मांग की जा रही है।