
भागलपुर: भागलपुर जिले के सबौर प्रखंड अंतर्गत चायचक गांव में गंगा का विकराल कटाव अब विनाश का प्रतीक बनता जा रहा है। बीते कुछ दिनों से तेज़ी से हो रहे भू-क्षरण ने ग्रामीणों की नींद उड़ा दी है। कटावरोधी कार्य तो चल रहे हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि वे पर्याप्त और प्रभावी नहीं साबित हो रहे हैं।
गृह प्रवेश से पहले उजड़ गया सपना
इस भयावह कटाव की सबसे मार्मिक तस्वीर सीता देवी के जीवन से सामने आई है। वर्षों की मेहनत और खेती-मजदूरी से सीता देवी ने पांच लाख रुपये जुटाकर एक पक्का मकान तैयार कराया था। लेकिन नियति ने उन्हें गृह प्रवेश की खुशी भी नहीं दी — मकान गंगा में समा गया।
सीता देवी का कहना है:
“हमने एक-एक ईंट जोड़कर यह मकान बनाया था। अब सब कुछ खत्म हो गया। घर भी नहीं बचा, खाने के लिए कुछ नहीं है। प्रशासन से मांग है कि हमें या तो रहने को घर मिले या पूरा मुआवज़ा दिया जाए।”
गांव में डर, दहशत और आक्रोश का माहौल
चायचक गांव के कई घर अब भी खतरे की जद में हैं। हर बीतता दिन गंगा की धारा को और करीब ला रहा है। ग्रामीणों में डर और गुस्से का माहौल है। उनका कहना है कि प्रशासन द्वारा किए जा रहे कार्य केवल कागजी औपचारिकता लगते हैं।
स्थानीय लोगों का आरोप:
“जिन जगहों पर मिट्टी कट रही है वहां मज़बूत रोकथाम की ज़रूरत है, लेकिन प्रशासन का रवैया बेहद ढीला है। जब तक कोई बड़ी दुर्घटना नहीं होती, तब तक हर साल यही हाल रहता है।”