
भागलपुरवासियों के लिए सोमवार का दिन एक भावनात्मक और ऐतिहासिक दिन बन गया, जब शहर का अंतिम सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर दीपप्रभा टॉकीज ने अंतिम बार परदा उठाया। भोजपुरी सुपरस्टार खेसारी लाल यादव की फिल्म ‘आतंकवादी’ के साथ इस 34 वर्षीय सिनेमा हॉल का अंतिम शो चला और पर्दा हमेशा के लिए गिर गया।
1991 में हुई थी स्थापना
आदमपुर में स्थित दीपप्रभा टॉकीज की शुरुआत 1991 में फिल्म ‘आई मिलन की रात’ के प्रदर्शन से हुई थी। इसके बाद इसने कई ब्लॉकबस्टर फिल्मों की मेजबानी की, जिनमें सलमान खान की ‘हम आपके हैं कौन’ को 20 सप्ताह तक चलाया जाना एक ऐतिहासिक उपलब्धि रही।
भावुक हुए कर्मचारी और दर्शक
दीपप्रभा टॉकीज के मैनेजर ललन प्रसाद सिंह और जनक सिंह ने बताया कि सिनेमा हॉल को बंद करने का निर्णय भावनात्मक रूप से बहुत कठिन था। वर्षों से यहां काम कर रहे लगभग 15 कर्मचारी इस फैसले से दुखी हैं। दर्शकों के लिए भी यह एक युग के अंत जैसा अनुभव रहा।
कभी था सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों का स्वर्ण युग
भागलपुर में एक दौर था जब शहर और आस-पास के क्षेत्रों में 15 से अधिक सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर सक्रिय थे — जिनमें मधु लक्ष्मी, पिक्चर पैलेस, जवाहर, अजंता, शंकर, महादेव, शारदा और दीपप्रभा टॉकीज प्रमुख थे। सुल्तानगंज, नवगछिया, कहलगांव और सबौर जैसे क्षेत्रों में भी सिनेमाघरों की समृद्ध परंपरा रही है।
सिनेमा से जुड़ी यादें
कथाकार रंजन कुमार ने भागलपुर के सिनेमाई इतिहास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 1949 में शहर का पहला सिनेमाघर मधु लक्ष्मी सिनेमा खुला था, जिसे बाद में पिक्चर पैलेस के रूप में स्थानांतरित किया गया। उन्होंने याद किया कि त्योहारों में “मैट्रिमोनियल शो” के नाम पर विशेष टिकट बिकते थे और ग्रामीण दर्शक बैलगाड़ी से सिनेमा देखने आते थे।
मल्टीप्लेक्स के बढ़ते चलन से खत्म हुई परंपरा
रंजन कुमार कहते हैं कि दीपप्रभा टॉकीज का बंद होना केवल एक सिनेमा हॉल का बंद होना नहीं, बल्कि भागलपुर की सांस्कृतिक धरोहर का एक अध्याय समाप्त होना है। मल्टीप्लेक्स संस्कृति के आगमन से पारंपरिक सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों का अस्तित्व धीरे-धीरे समाप्त होता गया है।
अब शहर में केवल मल्टीप्लेक्स बचे हैं, लेकिन दीपप्रभा टॉकीज की यादें हमेशा भागलपुरवासियों के दिलों में जीवित रहेंगी।