
Bhagalpur News: मिथिला की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा का प्रतीक मधुश्रावणी व्रत रविवार को श्रद्धा और विधिपूर्वक संपन्न हुआ। यह व्रत विशेष रूप से नवविवाहिताओं द्वारा ससुराल में पहली बार अपने पति की लंबी उम्र, वैवाहिक सुख-शांति और सौभाग्य की कामना हेतु किया जाता है।
मधुश्रावणी व्रत की अवधि 13 दिनों की होती है, जिसमें महिलाएं प्रतिदिन पूजन, पौराणिक कथाओं का श्रवण और विशेष अनुष्ठान करती हैं। इस अवसर पर मानिकपुर की नवविवाहिता साक्षी ने भी पूरे समर्पण भाव से इस व्रत का पालन किया। उन्होंने प्रतिदिन नाग-नागिन की पूजा, पारंपरिक रीति-रिवाजों का निर्वहन और प्रकृति के तत्वों—जैसे पेड़-पौधे, फूल और जल—के प्रति आभार व्यक्त करते हुए पूजन किया।
इस धार्मिक अनुष्ठान के दौरान महिलाओं ने सामूहिक रूप से गीत-संगीत, मधुश्रावणी कथाओं का श्रवण और उत्सवमय वातावरण के बीच व्रत का समापन किया।
मिथिला क्षेत्र में यह पर्व नारी शक्ति, प्रेम, परंपरा और प्राकृतिक तत्वों से जुड़ी आस्था का सुंदर संगम माना जाता है। यह व्रत न केवल धार्मिक भावना को प्रकट करता है, बल्कि पारिवारिक संबंधों को भी मजबूती देता है।