
भागलपुर:शिक्षा व्यवस्था की बदहाली के खिलाफ आम आदमी पार्टी (AAP) के बैनर तले आज भागलपुर में स्कूल बचाओ आंदोलन के तहत पदयात्रा निकाली गई। स्टेशन चौक से शुरू होकर घंटाघर चौक होते हुए यह यात्रा कचहरी चौक पर समाप्त हुई। आंदोलन का उद्देश्य शिक्षा में सुधार और दिल्ली के स्कूल मॉडल को बिहार में लागू करने की मांग था।
पदयात्रा का नेतृत्व AAP नेता और भागलपुर लोकसभा के पूर्व प्रत्याशी इंजीनियर सत्येंद्र कुमार ने किया, जिसमें पार्टी कार्यकर्ता और समर्थक शामिल थे। लेकिन इस आंदोलन में एक ऐसा दृश्य सामने आया, जिसने पूरे आयोजन पर सवाल खड़े कर दिए — छोटे-छोटे स्कूली बच्चों को भी नारेबाज़ी और तख्ती लेकर जुलूस में शामिल किया गया।
स्थानीय लोगों का कहना है कि ये बच्चे न तो वोटर हैं और न ही राजनीतिक निर्णयों में भागीदार, फिर उन्हें इस तरह के आंदोलनों में सड़कों पर उतारना कितना सही है? क्या बच्चों को उनके मासूम भविष्य की आड़ में राजनीतिक चेहरा बनाया जा रहा है?
शिक्षा में सुधार, बेहतर स्कूल और योग्य शिक्षकों की मांग भले ही जायज़ हो, लेकिन बच्चों को आंदोलन का हिस्सा बनाना कई लोगों की नजर में नैतिक रूप से गलत है। इससे आंदोलन के उद्देश्य की गंभीरता पर भी सवाल उठने लगे हैं।
AAP के बिहार प्रदेश अध्यक्ष राकेश यादव ने इसे “जन आंदोलन” करार देते हुए कहा कि जनता बदलाव चाहती है और शिक्षा इसका आधार है। उन्होंने ऐलान किया कि यह अभियान अब पूरे बिहार में चलाया जाएगा।