
भागलपुर: मेरा रेशम मेरा अभिमान (एम.आर.एम.ए.) अभियान के तहत आज भागलपुर के रेशम भवन, जीरो माइल में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन केंद्रीय रेशम बोर्ड, सी.एस.टी.आर.आई., रेशम तकनीकी सेवा केंद्र, भागलपुर ने महाप्रबंधक सह सहायक उद्योग निदेशक (रेशम) एवं जिला नोडल अधिकारी, एम.आर.एम.ए. के सहयोग से किया। प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य तसर रेशम रीलिंग और कताई प्रौद्योगिकियों के प्रति प्रतिभागियों को जागरूक करना और उन्हें आधुनिक तकनीक से जोड़ना था।
कार्यक्रम में कुल 27 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। प्रशिक्षण का संचालन रेशम तकनीकी सेवा केंद्र के वैज्ञानिक-बी आकाश शर्मा और प्रभारी वैज्ञानिक-सी त्रिपुरारी चौधरी ने किया। श्री शर्मा ने प्रतिभागियों को एम.आर.एम.ए. अभियान का व्यावहारिक अवलोकन कराया और बताया कि उन्नत मशीनों की मदद से तसर रेशम धागे की गुणवत्ता में कैसे सुधार लाया जा सकता है। वहीं, श्री चौधरी ने तकनीकी सत्र के दौरान पारंपरिक तरीकों और आधुनिक तकनीकों की तुलना प्रस्तुत की। उन्होंने विस्तार से बताया कि किस प्रकार आधुनिक रीलिंग और कताई प्रक्रियाएँ बेहतर किस्म का धागा उपलब्ध कराती हैं और बाजार में उनकी अधिक व्यावसायिक मांग रहती है।
इस अवसर पर महाप्रबंधक सह सहायक उद्योग निदेशक (रेशम), भागलपुर एवं जिला नोडल अधिकारी, एम.आर.एम.ए., सुश्री खुशबू कुमारी भी उपस्थित रहीं। उन्होंने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि रेशम उद्योग भागलपुर की पहचान है और आधुनिक तकनीकों को अपनाकर न केवल उत्पाद की गुणवत्ता सुधारी जा सकती है, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर भी पैदा किए जा सकते हैं। उन्होंने प्रतिभागियों को कौशल विकास को प्राथमिकता देने और रोजगार सृजन की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित किया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभागियों ने सक्रिय रूप से हिस्सा लिया और व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया। सभी ने इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के प्रशिक्षण से रेशम उद्योग को नई दिशा मिलेगी और छोटे उद्यमियों से लेकर बड़े रेशम उत्पादकों तक को इसका लाभ होगा।
यह एक दिवसीय प्रशिक्षण न केवल तकनीकी जानकारी प्रदान करने वाला कार्यक्रम साबित हुआ, बल्कि इसने भागलपुर के पारंपरिक रेशम उद्योग को आधुनिकता से जोड़ने का भी कार्य किया। “मेरा रेशम मेरा अभिमान” अभियान के तहत आयोजित यह पहल स्थानीय स्तर पर कौशल विकास, आत्मनिर्भरता और रोजगार सृजन की दिशा में एक मजबूत कदम है।