
पत्रकार हरि शम्भू ने पुलिस पर हिरासत में मारपीट, धमकी और डिजिटल साक्ष्य नष्ट करने का लगाया आरोपहरलाखी थाना क्षेत्र में पुलिस घूसकांड का वीडियो उजागर करने वाले स्थानीय पत्रकार हरि शम्भू की गिरफ्तारी और कथित थाने में प्रताड़ना का मामला अब पटना हाईकोर्ट की दहलीज पर है। पत्रकार का आरोप है कि रिश्वतखोरी के वीडियो के वायरल होने के कुछ दिनों बाद 20 जून की रात उन्हें पुलिस ने उनके घर से गिरफ्तार किया, वह भी बिना वारंट और महिला पुलिस की उपस्थिति के।
हरलाखी थाना क्षेत्र में पुलिस घूसकांड का वीडियो उजागर करने वाले स्थानीय पत्रकार हरि शम्भू की गिरफ्तारी और कथित थाने में प्रताड़ना का मामला अब पटना हाईकोर्ट की दहलीज पर है। पत्रकार का आरोप है कि रिश्वतखोरी के वीडियो के वायरल होने के कुछ दिनों बाद 20 जून की रात उन्हें पुलिस ने उनके घर से गिरफ्तार किया, वह भी बिना वारंट और महिला पुलिस की उपस्थिति के।
परिजनों का आरोप: प्रक्रिया का उल्लंघन और दुर्व्यवहार
परिजनों का कहना है कि गिरफ्तारी के समय न केवल कानूनी प्रक्रियाओं की अनदेखी की गई, बल्कि पत्रकार की मां के साथ भी दुर्व्यवहार किया गया। गिरफ्तारी के बाद हरि शम्भू को लगभग 22 घंटे तक थाने में रखा गया, जहां उनके साथ मारपीट और मानसिक उत्पीड़न की बात सामने आई है।
मेडिकल रिपोर्ट में चोट और मानसिक तनाव के प्रमाण
मधुबनी सदर अस्पताल में कराए गए मेडिकल परीक्षण में पत्रकार के शरीर पर सूजन, गहरे चोटों के निशान और तनाव के लक्षण दर्ज किए गए हैं। हरि शम्भू का आरोप है कि पुलिस ने उनका मोबाइल फोन जब्त कर डिजिटल साक्ष्य नष्ट कर दिए — जिसमें रिश्वतखोरी से संबंधित वीडियो मौजूद थे।
हाईकोर्ट में याचिका, 20 पुलिसकर्मियों पर आरोप
पत्रकार ने पटना हाईकोर्ट में दायर याचिका में निवर्तमान डीएसपी निशिकांत भारती, हरलाखी थानाध्यक्ष समेत कुल 20 पुलिसकर्मियों के खिलाफ गिरफ्तारी, मारपीट, धमकी और डिजिटल साक्ष्य मिटाने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं।
सोशल मीडिया पर उठे सवाल, पुलिस की चुप्पी
घटना सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर जनाक्रोश स्पष्ट देखा जा सकता है। कई पत्रकार संगठनों और नागरिकों ने इस कार्रवाई को प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला करार दिया है। हालांकि, पुलिस प्रशासन की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।
निष्कर्ष: न्यायिक प्रक्रिया से मिलेगी दिशा
चूंकि मामला अब उच्च न्यायालय में लंबित है, ऐसे में न्यायिक जांच और प्रक्रिया के बाद ही पूरी सच्चाई सामने आने की संभावना है। यह मामला न केवल पत्रकार सुरक्षा बल्कि पुलिस कार्यप्रणाली पर भी कई सवाल खड़े करता है।