
सुल्तानगंज/भागलपुर: सावन का महीना आस्था और भक्ति का पर्व माना जाता है, लेकिन इस बार झारखंड के कोडरमा ज़िले की कुसुम साहू ने इसे गौ सेवा और सनातन संस्कृति से जोड़कर एक नई मिसाल पेश की है। कुसुम झुमरीतिलैया से करीब 400 किलोमीटर की कठिन पदयात्रा कर सुल्तानगंज स्थित अजगैबीनाथ मंदिर पहुंचीं, जहां उन्होंने 21 लीटर गंगाजल से बाबा का जलाभिषेक किया।
इस यात्रा की सबसे खास बात रही कि कुसुम के साथ हर कदम पर थी बाल गोपाल की पीतल की मूर्ति, जो उनके संकल्प, श्रद्धा और सनातन मूल्यों की प्रतीक बनी रही।
अब लक्ष्य बाबा बैद्यनाथ और बासुकीनाथ धाम
अजगैबीनाथ में जल अर्पण के बाद कुसुम ने एक बार फिर उत्तरवाहिनी गंगा में डुबकी लगाकर 21 लीटर गंगाजल लिया और अब वे बाबा बैद्यनाथ धाम (देवघर) होते हुए बासुकीनाथ धाम की ओर लगभग 150 किलोमीटर लंबी पदयात्रा पर निकल पड़ी हैं।
गौ सेवा का संदेश लेकर कर रही पदयात्रा
इस यात्रा के पीछे केवल भक्ति ही नहीं, बल्कि एक सामाजिक संदेश भी है। कुसुम का कहना है,
“मैं बाबा से यही प्रार्थना करूंगी कि देश का हर सनातनी गौ सेवा को अपनाए और कोई भी गोधन सड़कों पर बेसहारा न दिखे। यह हमारी परंपरा और संस्कृति की रक्षा का सवाल है।”
इस पवित्र उद्देश्य को लेकर उनके पिता भी साथ चल रहे हैं। कोडरमा से कई गौ-सेवक भी इस पदयात्रा से जुड़ चुके हैं, जो रास्ते में लोगों को गौ संवर्द्धन, गौ संरक्षण और सनातन संस्कृति के प्रति जागरूक कर रहे हैं।
श्रद्धालुओं और राहगीरों में बना आकर्षण का केंद्र
कुसुम की पदयात्रा केवल एक आध्यात्मिक यात्रा नहीं रही, बल्कि हर पड़ाव पर उनकी भक्ति, सरलता और संदेश ने लोगों का दिल जीता। बाल गोपाल की मूर्ति को साथ लेकर चलना हर सनातनी के हृदय में आस्था की लौ को और प्रज्वलित कर रहा है।