
भागलपुर: भागलपुर की राजनीति इस समय सियासी घमासान से गुजर रही है। जदयू की आंतरिक खींचतान तब खुलकर सामने आ गई जब गोपालपुर के विधायक गोपाल मंडल ने सांसद अजय मंडल और जदयू महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश महासचिव कुमारी अपर्णा को लेकर बेहद आपत्तिजनक बयान दे दिया। विधायक ने आरोप लगाया कि “कुमारी अपर्णा, अजय मंडल की रखैल हैं।”
इस बयान के बाद राजनीति में भूचाल आ गया। सांसद अजय मंडल ने इसे असहनीय करार देते हुए गोपाल मंडल के खिलाफ घोंघा थाना में मामला दर्ज करा दिया। वहीं, विवाद थमने के बजाय और गहराता चला गया जब गोपाल मंडल ने प्रेस वार्ता कर अजय मंडल पर पलटवार करते हुए गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि “अजय मंडल एचआईवी पॉजिटिव हैं और उन्हें संसद जाने से रोका जाना चाहिए।”
अजय मंडल और कुमारी अपर्णा की प्रेस वार्ता
इन आरोप-प्रत्यारोपों के बीच आज सांसद अजय मंडल और कुमारी अपर्णा ने भागलपुर में संयुक्त प्रेस वार्ता की। प्रेस वार्ता में अजय मंडल ने कहा कि उन्हें न्यायपालिका और अपनी पार्टी पर पूरा भरोसा है। उन्होंने साफ कहा कि “न्यायालय का जो भी फैसला होगा, मैं उसे मानने को तैयार हूँ। आरोप बेबुनियाद हैं और यह राजनीतिक साजिश का हिस्सा है।”
वहीं, कुमारी अपर्णा ने गोपाल मंडल के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि “अजय मंडल मेरे मामा हैं। यह बात गोपाल मंडल को भी भलीभांति पता है। इसके बावजूद उन्होंने इस तरह की अमर्यादित टिप्पणी की, जो बेहद निंदनीय है। क्या इस स्तर तक गिरकर राजनीति की जानी चाहिए?”
उन्होंने आगे कहा कि गोपाल मंडल के बयान की शिकायत उन्होंने पार्टी आलाकमान तक पहुँचा दी है और अब वे आलाकमान के निर्णय को मानने के लिए तैयार हैं।
पार्टी में बढ़ी खींचतान
इस पूरे घटनाक्रम ने जदयू की आंतरिक राजनीति को खुलकर सतह पर ला दिया है। जहां एक ओर सांसद अजय मंडल और उनके समर्थक गोपाल मंडल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर गोपाल मंडल का यह दावा कि उन्होंने “सच उजागर” किया है, पार्टी के लिए सिरदर्द बन गया है।
जदयू के अंदरूनी मतभेद अब सार्वजनिक हो चुके हैं, जिससे पार्टी की छवि पर सवाल उठने लगे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस विवाद ने पार्टी में गुटबाजी की स्थिति को और पुख्ता कर दिया है।
आगे की राह
अब सबकी निगाहें न्यायालय और पार्टी आलाकमान के फैसले पर टिकी हुई हैं। अगर आलाकमान ने इस मामले पर कड़ी कार्रवाई नहीं की, तो जदयू में असंतोष और गहरा सकता है। वहीं, न्यायिक प्रक्रिया के नतीजे भी आने वाले समय में इस विवाद की दिशा तय करेंगे।
फिलहाल भागलपुर की जनता और राजनीतिक हलकों में यह चर्चा का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब जनप्रतिनिधि ही इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करेंगे, तो आम जनता क्या संदेश लेगी?