
Navgachiya News: नवगछिया अनुमंडल अस्पताल में मंगलवार को इलाज के दौरान एक पांच वर्षीय मासूम बच्ची की मौत के बाद माहौल तनावपूर्ण हो गया। सर्पदंश की शिकार लक्ष्मी कुमारी की मौत के बाद परिजनों ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए अस्पताल में जमकर हंगामा किया। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि अस्पताल कर्मियों को परिसर छोड़कर भागना पड़ा।
घटना का विवरण
जानकारी के अनुसार, रंगरा थाना क्षेत्र के भवानीपुर निवासी अजीत कुमार की पुत्री लक्ष्मी कुमारी अपनी दादी के साथ खेत में मूंग तोड़ने गई थी। इसी दौरान उसे सांप ने पैर में काट लिया। घटना के तुरंत बाद परिजन बच्ची को लेकर नवगछिया अनुमंडल अस्पताल पहुंचे।
परिजनों का आरोप है कि डॉक्टरों ने समय पर इलाज शुरू नहीं किया। पहले टिटनेस की सुई दी गई और फिर बच्ची को मायागंज अस्पताल रेफर कर दिया गया। मायागंज ले जाने की बजाय परिजन एक प्राइवेट क्लीनिक गए, लेकिन वहां डॉक्टर मौजूद नहीं थे, जिससे वे बच्ची को वापस अनुमंडल अस्पताल ले आए। लेकिन तब तक बच्ची की मौत हो चुकी थी।
अस्पताल में हंगामा, स्वास्थ्यकर्मी से मारपीट
बच्ची की मौत की खबर फैलते ही परिजनों और ग्रामीणों ने अस्पताल पहुंचकर हंगामा शुरू कर दिया। आक्रोशित लोगों ने स्वास्थ्यकर्मियों के साथ मारपीट की। हालत बिगड़ते देख चिकित्सक और अन्य स्टाफ अस्पताल छोड़कर भाग गए।
घटना की सूचना पर रंगरा और नवगछिया थाना पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रित किया।
स्थानीय प्रतिनिधि ने की चिकित्सक से पूछताछ
नवगछिया नगर परिषद की सभापति के प्रतिनिधि प्रेम सागर उर्फ डब्लू यादव भी अस्पताल पहुंचे और ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर विनय कुमार से सख्त लहजे में पूछताछ की। उन्होंने पूछा कि बच्ची को मायागंज रेफर करने का आधार क्या था और डॉक्टर यह तक नहीं बता पाए कि सांप ने शरीर के किस हिस्से में काटा था।
डब्लू यादव ने कहा:
“यह चिकित्सा नहीं, लापरवाही और अपराध है। जिस जगह बच्ची को काटा गया, उसका ठीक से निरीक्षण तक नहीं किया गया। ऐसे डॉक्टर पर हत्या का केस दर्ज होना चाहिए। हम इस मामले में डीएम और सीएस को पत्र लिखेंगे।”
परिजनों का आरोप – पैसे लेकर भी नहीं मिला इलाज
परिजनों ने आरोप लगाया कि इलाज के नाम पर 5,000 रुपये लिए गए, लेकिन समुचित इलाज नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि डॉक्टर चाहते तो बच्ची की जान बच सकती थी।
मृतका के परिजनों ने भागलपुर के सिविल सर्जन को भी फोन कर शिकायत की, लेकिन आश्वासन के बावजूद कोई डॉक्टर समय पर नहीं पहुंचा।