कुप्पाघाट महर्षि मेंही आश्रम में समारोहपूर्वक हुआ सद्गुरू महर्षि मेही निवास भव्य लोकार्पण, आचार्य महर्षि हरिनंदन परमहंस जी महाराज, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और पटना महावीर स्थान न्यास समिति के आचार्य किशोर कुणाल ने की कार्यक्रम की शुरुआत, सुरक्षा को लेकर सीसीटीवी के साथ चप्पे-चप्पे पर की गई थी जवानों की तैनाती

भागलपुर के ऐतिहासिक कुप्पाघाट आश्रम परिसर में शुक्रवार को अखिल भारतीय संतमत सत्संग महासभा महर्षि मेंही आश्रम कुप्पाघाट की ओर से भव्य लोकार्पण समारोह का आयोजन किया गया।
इस दौरान सौंदर्यीकरण किए गए सद्गुरू महर्षि मेही निवास का लोकार्पण आश्रम के आचार्य महर्षि हरिनंदन परमहंस जी महाराज, मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत और विशिष्ट अतिथि पटना महावीर स्थान न्यास समिति के आचार्य किशोर कुणाल ने संयुक्त रूप से फीता काटकर और नारियल फोड़कर किया।
इससे पूर्व सरसंघचालक मोहन भागवत राजधानी एक्सप्रेस से नवगछिया स्टेशन पहुंचे, जहां लोगों ने उनका स्वागत फूल माला और पुष्प गुच्छ देकर किया, जिसके बाद वे विक्रमशिला पुल होते हुए भागलपुर के कुप्पाघाट पहुंचे।
वहीं लोकार्पण कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे, आरएसएस प्रमुख की सुरक्षा को लेकर को लेकर पुख्ता तैयारी की गई थी, जबकि जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा के बीच पहुंचे मोहन भागवत की सुरक्षा के लिए भागलपुर में अलग-अलग जगहों पर 3 सौ अतिरिक्त पुलिस बल और 78 सीसीटीवी कैमरे के द्वारा निगरानी की जा रही थी।
इधर कुप्पाघाट परिसर पहुँचने के बाद सभी अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ एवं अंग वस्त्र देकर किया गया, जिसके बाद सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज के सौन्दर्यीकृत निवास का लोकार्पण सामूहिक रूप से अतिथियों द्वारा किया गया।
इसके बाद सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज के जीवन पर आधारित फीचर फिल्म के पोस्टर का अनावरण किया गया, जबकि कार्यक्रम में सभी गणमान्य लोगों ने बारी-बारी से लोगों को संबोधित किया। वहीं अपने सम्बोधन में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हम सभी को देश की एकता एवं अखंडता को बनाए रखते हुए भारत मां का सम्मान करना है। संघ प्रमुख ने लोकार्पण कार्यक्रम में कहा कि सभी युवा अपने देश के प्रति एकता अखंडता को बनाए रखने में अपनी भूमिका निभाते हुए भारत मां के सम्मान में कार्य करें।
साथ ही उन्होंने कहा कि सत्य की परख करने के लिए आध्यात्मिकता जरूरी है। इधर शुक्रवार को आम श्रद्धालुओं के लिए कुप्पाघाट का मुख्य द्वार बंद रहा, जबकि जगह-जगह अधिकारियों के साथ स्थानीय पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति की गई थी, और आश्रम के प्रवेश द्वार से अंदर जाने वालों की गहन जांच कर ही अंदर प्रवेश दिया गया।