
भागलपुर: भागलपुर जिले के नाथनगर प्रखंड में बाढ़ का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है। गंगा और कोसी नदी के उफान ने दर्जनों गांवों को पूरी तरह जलमग्न कर दिया है। हालात ऐसे हैं कि कई जगहों पर पानी का स्तर छाती से ऊपर पहुंच चुका है, जिससे ग्रामीण ऊंचे और सुरक्षित स्थानों की तलाश में पलायन कर रहे हैं।
सबसे मार्मिक दृश्य नाथनगर के श्रीरामपुर मध्य विद्यालय में देखने को मिला। यह वही विद्यालय है, जहां कभी बच्चों की पढ़ाई और खेलकूद की गूंज रहती थी, लेकिन पिछले 10 दिनों से यह विद्यालय बाढ़ के पानी में डूबा हुआ है। अब यही भवन बाढ़ पीड़ित ग्रामीणों और छात्रों का शरण स्थल बन गया है। कई छात्र और उनके परिवार विद्यालय की छत पर खुले आसमान के नीचे दिन-रात गुजारने को मजबूर हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि बाढ़ का पानी उनके घरों में इतना भर गया है कि वहां रहना असंभव हो गया है। कई घर पूरी तरह से जलमग्न हो चुके हैं और खाने-पीने की वस्तुओं की भारी कमी हो रही है। बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। गर्म धूप और मूसलाधार बारिश के बीच छत पर रहने की मजबूरी ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
स्थानीय लोगों ने बताया कि अब तक प्रशासन की ओर से सीमित राहत सामग्री ही पहुंच पाई है। नावों के जरिए कुछ इलाकों में खाना और पानी पहुंचाया जा रहा है, लेकिन यह जरूरत के मुकाबले नाकाफी है। ग्रामीण प्रशासन से शीघ्र राहत और बचाव कार्य तेज करने की मांग कर रहे हैं, ताकि उन्हें सुरक्षित स्थान और आवश्यक सुविधाएं मिल सकें।
बाढ़ पीड़ितों ने मेडिकल टीम और सामुदायिक किचन की भी मांग की है, क्योंकि गंदे पानी और भीगने से बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। बच्चों में बुखार, डायरिया और त्वचा रोग जैसी समस्याएं देखने को मिल रही हैं।
प्रशासन ने दावा किया है कि प्रभावित क्षेत्रों में लगातार राहत कार्य जारी हैं, लेकिन कटाव और तेज बहाव के कारण कई जगह पहुंचना कठिन हो रहा है। अधिकारी आश्वासन दे रहे हैं कि अगले कुछ दिनों में राहत सामग्री की आपूर्ति और नावों की संख्या बढ़ाई जाएगी।
फिलहाल, श्रीरामपुर मध्य विद्यालय की छत पर बैठे छात्र और ग्रामीण इस उम्मीद में हैं कि जल्द ही पानी घटेगा और वे फिर से अपने घर लौट पाएंगे। लेकिन बाढ़ की विभीषिका ने यह साफ कर दिया है कि उनकी जिंदगी को पटरी पर लौटाने में अभी लंबा समय लगेगा।