
पटना: बिहार ने एक बार फिर कृषि क्षेत्र में पूरे देश के लिए मिसाल पेश की है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य सरकार ने देश का पहला डिजिटल कृषि निदेशालय गठित किया है। मंत्रिपरिषद की स्वीकृति के बाद शुरू हुई यह ऐतिहासिक पहल राज्य के किसानों के लिए एक नई दिशा तय करेगी।
इस डिजिटल कृषि निदेशालय का मुख्य उद्देश्य है – किसानों को रियल टाइम में योजनाओं का लाभ पहुंचाना, फसल और मौसम आधारित सटीक आंकड़े उपलब्ध कराना, उत्पादन और उत्पादकता का पूर्वानुमान लगाना तथा एकीकृत कृषि डेटाबेस प्रबंधन प्रणाली विकसित करना। इससे न केवल नीति निर्माण और संसाधन वितरण की प्रक्रिया सुदृढ़ होगी, बल्कि किसानों को समय पर जानकारी और सहायता भी मिल सकेगी।
राज्य सरकार अब डिजिटल क्रॉप सर्वे के माध्यम से प्रत्येक फसल मौसम में सटीक और अद्यतन आंकड़े एकत्र करेगी। इससे किसानों को फसल आधारित अनुदान योजनाओं का सीधा लाभ मिलेगा। गौरतलब है कि वर्ष 2018 से बिहार सरकार किसानों को आधार आधारित प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) प्रणाली के माध्यम से डीज़ल अनुदान, इनपुट अनुदान और आपदा सहायता सीधे बैंक खातों में उपलब्ध करा रही है। वर्तमान में दो करोड़ से अधिक रैयत एवं गैर रैयत किसान इस पोर्टल पर पंजीकृत हैं, जो देश का सबसे बड़ा डिजिटल किसान पंजीकरण है।
डिजिटल कृषि निदेशालय के अंतर्गत किसानों को अब डिजिटल मृदा स्वास्थ्य कार्ड, डिजिटल क्रॉप एस्टीमेशन सर्वे, पौध संरक्षण में ड्रोन तकनीक और कृषि में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके अलावा किसानों और कृषि पदाधिकारियों की सुविधा के लिए विशेष मोबाइल एप्लिकेशन और ई-गवर्नेंस टूल्स भी विकसित किए जाएंगे।
इस पहल से कृषि उत्पादन में वृद्धि, मौसम आधारित सलाह, बाजार की जानकारी और आपदा प्रबंधन में तेजी आएगी। कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों के सभी डेटाबेस एकीकृत होने से किसान एक ही प्लेटफॉर्म पर योजनाओं और सूचनाओं का लाभ ले सकेंगे।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि यह कदम बिहार को तकनीकी रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर बनाएगा तथा राज्य को कृषि डिजिटलीकरण में राष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी स्थान दिलाएगा।
निस्संदेह, यह पहल किसानों की आय में वृद्धि, कृषि के आधुनिकीकरण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति देने में मील का पत्थर साबित होगी।