
Bihar News: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज किए गए एक बैंक धोखाधड़ी मामले में पटना की विशेष सीबीआई अदालत ने दिनांक 21 जून 2025 को तीन आरोपियों को दोषी करार देते हुए तीन वर्ष के सश्रम कारावास (Rigorous Imprisonment) और कुल 4 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है।
दोषी करार दिए गए व्यक्तियों में शामिल हैं:
- बारुन कुमार मिश्रा – तत्कालीन प्रबंधक, मिथिला क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, कहुआ शाखा, दरभंगा
- मोहन जी मिश्रा – तत्कालीन शाखा प्रबंधक, मिथिला क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, बहेरा शाखा, मधुबनी
- दयानंद झा – एक निजी व्यक्ति
मामले का विवरण:
सीबीआई ने यह मामला 14 अगस्त 1991 को दर्ज किया था। आरोप था कि वर्ष 1989-90 के दौरान मिथिला क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की कहुआ शाखा में पदस्थ तत्कालीन प्रभारी अधिकारी बारुन कुमार मिश्रा और अन्य ने दयानंद झा के साथ मिलकर आपराधिक षड्यंत्र रचा और बैंक खाते में हेरफेर करते हुए ₹2,48,642 की राशि का गबन किया।
उक्त राशि का गबन एचएसएस खाता संख्या 1114 में क्रेडिट और डेबिट प्रविष्टियों में हेरफेर के माध्यम से किया गया था। जांच पूरी होने के बाद सीबीआई ने 30 नवंबर 1994 को दो अलग-अलग आरोप-पत्र दाखिल किए थे।
अदालती कार्यवाही और निर्णय:
- पहला आरोप-पत्र पटना के विशेष न्यायाधीश, सीबीआई मामलों के न्यायालय में दाखिल किया गया, जिसमें बारुन कुमार मिश्रा, मोहन जी मिश्रा और दयानंद झा को नामजद किया गया था।
- सुनवाई के उपरांत तीनों आरोपियों को दोषी पाया गया और न्यायालय ने उन्हें 3 वर्ष के सश्रम कारावास के साथ कुल ₹4 लाख रुपये का जुर्माना भरने का आदेश दिया।
- दूसरा आरोप-पत्र बारुन कुमार मिश्रा के विरुद्ध ही दर्ज किया गया था, जो वर्तमान में मुजफ्फरपुर की सीबीआई अदालत में विचाराधीन है।
सीबीआई की भूमिका:
सीबीआई ने इस जटिल मामले की गहन जांच करते हुए पर्याप्त सबूत एकत्रित किए, जिसके आधार पर न्यायालय ने दोषियों को सजा सुनाई। यह फैसला बैंकिंग सेक्टर में पारदर्शिता और वित्तीय अपराधों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।