
पटना/बेगूसराय: बिहार को आज एक और ऐतिहासिक सौगात मिली जब माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने औंटा (मोकामा)–सिमरिया (बेगूसराय) चार लेन/छह लेन परियोजना को राष्ट्र को समर्पित किया। इस परियोजना का मुख्य आकर्षण गंगा नदी पर बना 1.865 किलोमीटर लंबा नया छह लेन पुल है, जो उत्तर और दक्षिण बिहार के बीच संपर्क को और सशक्त बनाएगा।
यह पुल पटना जिले के मोकामा और बेगूसराय को सीधे जोड़ता है और लगभग सात दशक पुराने 2-लेन रेल-सह-सड़क पुल राजेंद्र सेतु के समानांतर बनाया गया है। वर्तमान में राजेंद्र सेतु मरम्मत के अधीन है, जिसके कारण भारी वाहनों का परिचालन प्रतिबंधित है और उन्हें लंबा चक्कर लगाकर यात्रा करनी पड़ती है। नया पुल इस समस्या का स्थायी समाधान बनकर उभरेगा।
इस परियोजना के शुरू होने से उत्तर बिहार (बेगूसराय, सुपौल, मधुबनी, अररिया आदि) और दक्षिण बिहार (पटना, शेखपुरा, नवादा, लखीसराय आदि) के बीच यात्रा करने वाले भारी वाहनों के लिए दूरी लगभग 100 किलोमीटर तक कम हो जाएगी। इससे न केवल समय की बचत होगी बल्कि ईंधन और वाहन संचालन लागत में भी उल्लेखनीय कमी आएगी।
पुल का सांस्कृतिक महत्व भी अत्यधिक है। यह प्रसिद्ध सिमरिया धाम को बेहतर संपर्क उपलब्ध कराएगा, जो कि राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जन्मभूमि है और लाखों श्रद्धालुओं का आस्था केंद्र भी। इस कारण से यह परियोजना केवल सड़क परिवहन ही नहीं बल्कि धार्मिक पर्यटन के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण साबित होगी।
गौरतलब है कि इस परियोजना की आधारशिला स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी। इसका उद्घाटन बिहार में कनेक्टिविटी और क्षेत्रीय विकास की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम माना जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार यह पुल बिहार की अर्थव्यवस्था को नई गति देगा, औद्योगिक क्षेत्रों को बेहतर जोड़ने में सहायक होगा और स्थानीय लोगों के जीवन को आसान बनाएगा।
कुल मिलाकर, औंटा-सिमरिया छह लेन गंगा पुल केवल एक बुनियादी ढांचा परियोजना नहीं है, बल्कि यह नवाचार, इंजीनियरिंग और विकास का प्रतीक है। यह न केवल यात्रा को सुगम बनाएगा बल्कि बिहार की सांस्कृतिक और आर्थिक समृद्धि को भी नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।