
पटना, 14 सितंबर: बिहार कृषि क्षेत्र में एक नई पहचान बना रहा है। पारंपरिक खेती को आधुनिक तकनीक से जोड़ते हुए राज्य ने डिजिटल क्रॉप सर्वे की शुरुआत की है। इसके तहत सभी 38 जिलों में खरीफ फसलों का डाटा अब डिजिटल रूप में उपलब्ध कराया जा रहा है। यह पहल किसानों के लिए न सिर्फ पारदर्शिता लेकर आई है बल्कि राज्य सरकार की कृषि योजनाओं को और भी प्रभावी और लक्ष्य आधारित बनाने में मददगार साबित हो रही है।
1.99 करोड़ प्लॉट का होगा डिजिटल सर्वे
कृषि विभाग खरीफ 2025-26 के दौरान राज्य के 1 करोड़ 99 लाख से अधिक प्लॉट्स का डिजिटल सर्वे कर रहा है। इसके बाद सभी 30,652 गांवों में उगाई जाने वाली फसलों का विस्तृत डाटा उपलब्ध होगा। इससे यह आसानी से पता चलेगा कि किस जिले में कौन सी फसल कितने क्षेत्र में बोई गई है। साथ ही, फसलों की रियल टाइम मॉनिटरिंग संभव होगी।
कृषि योजना बनाने में हो रही है मदद
डिजिटल क्रॉप सर्वे से सरकार को यह स्पष्ट आंकड़े मिल रहे हैं कि राज्य के किस हिस्से में किस फसल की कितनी पैदावार हो रही है। इस आधार पर खाद्य आपूर्ति, सिंचाई, बीज वितरण और बाजार उपलब्धता जैसी योजनाएं ज्यादा सटीक ढंग से तैयार की जा रही हैं। इससे किसानों को सीधे लाभ पहुंच रहा है और उत्पादन क्षमता भी बढ़ रही है।
आधुनिक तकनीक से खुशहाल हो रहे हैं किसान
डिजिटलाइजेशन के साथ उपग्रह आधारित आंकड़े, ड्रोन तकनीक, मोबाइल एप्स और ई-गवर्नेंस टूल्स का इस्तेमाल कृषि में किया जा रहा है। इन तकनीकों से फसलों की स्थिति की निगरानी, उत्पादन का आकलन और मौसम संबंधी जानकारी तुरंत उपलब्ध हो जाती है। किसान अब बेहतर फैसले ले पा रहे हैं और उनकी आमदनी में लगातार वृद्धि हो रही है।
देश का पहला डिजिटल कृषि निदेशालय
कृषि क्षेत्र में तकनीक को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने डिजिटल कृषि निदेशालय का गठन किया है। अपने तरह का यह देश का पहला निदेशालय है, जो रियल टाइम में किसानों को कृषि विभाग की योजनाओं से जोड़ता है। इससे योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता आई है और किसानों को लाभ पहुंचाने में तेजी हुई है।
पारंपरिक ढांचे से आधुनिक कृषि की ओर
राज्य सरकार की योजनाबद्ध नीतियों और आधुनिक तकनीक के समावेश ने बिहार की कृषि को पारंपरिक ढांचे से बाहर निकालकर एक आधुनिक, लाभकारी और टिकाऊ प्रणाली में बदल दिया है। अब कृषि सिर्फ जीविकोपार्जन का साधन नहीं रही बल्कि किसानों के लिए समृद्धि और खुशहाली का मार्ग बन रही है।
बिहार का डिजिटल क्रॉप सर्वे और डिजिटल कृषि निदेशालय न सिर्फ राज्य बल्कि पूरे देश के लिए एक आदर्श मॉडल बन सकता है। यह पहल यह साबित करती है कि तकनीक और नीति के सही संयोजन से कृषि को भविष्य के अनुरूप ढाला जा सकता है।