
भागलपुर, 04 अक्टूबर: बिहार सरकार ने युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री सात निश्चय कार्यक्रम के तहत चल रही मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना का दायरा अब और विस्तृत कर दिया गया है। अब तक इस योजना का लाभ इंटर पास युवाओं तक सीमित था, लेकिन आज से स्नातक (कला, विज्ञान, वाणिज्य) उत्तीर्ण बेरोजगार युवाओं को भी इस योजना में शामिल किया गया है। मुख्यमंत्री ने इसका शुभारंभ करते हुए संदेश दिया कि राज्य का हर बेरोजगार युवा अब केवल आर्थिक मदद ही नहीं, बल्कि कौशल प्रशिक्षण के जरिए रोजगार और स्वरोजगार के अवसर भी प्राप्त करेगा।
भागलपुर के समीक्षा भवन में कार्यक्रम का सीधा प्रसारण दिखाया गया, जहां उपविकास आयुक्त प्रदीप कुमार सिंह, जिला योजना पदाधिकारी मोनू कुमार, जिला प्रबंधक डीआरसीसी और अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे। अधिकारियों ने योजना के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह कदम युवाओं के भविष्य को नई दिशा देगा।
योजना की विशेषताएं
इस योजना के तहत 20 से 25 वर्ष की आयु वर्ग के वे युवा-युवतियाँ, जो स्नातक उत्तीर्ण हैं, वर्तमान में बेरोजगार हैं, अध्ययनरत नहीं हैं और किसी सरकारी या निजी नौकरी में कार्यरत नहीं हैं, लाभार्थी बन सकेंगे। इन्हें प्रति माह 1,000 रुपये भत्ता मिलेगा, जो अधिकतम दो वर्षों तक दिया जाएगा। इससे युवाओं को आर्थिक सहारा मिलेगा और वे अपने करियर की तैयारी बिना किसी आर्थिक दबाव के कर सकेंगे।
सिर्फ आर्थिक मदद ही नहीं, बल्कि श्रम संसाधन विभाग, बिहार द्वारा लाभार्थियों को नि:शुल्क कौशल विकास प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराया जाएगा। प्रशिक्षण का उद्देश्य युवाओं को विभिन्न रोजगारोन्मुखी क्षेत्रों में दक्ष बनाना और उन्हें स्वरोजगार अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है।
सरकार का लक्ष्य
राज्य सरकार का लक्ष्य प्रतिवर्ष लगभग 5 लाख युवाओं तक इस योजना का लाभ पहुँचाने का है। इसके लिए करीब 600 करोड़ रुपये का वार्षिक व्यय प्रस्तावित किया गया है। उल्लेखनीय है कि यह योजना 02 अक्टूबर 2016 से ही लागू है, लेकिन अब इसे और प्रभावी बनाते हुए स्नातक बेरोजगार युवाओं तक विस्तारित किया गया है।
भविष्य की दिशा
सरकार का मानना है कि शिक्षा के बाद बेरोजगारी युवाओं के सामने सबसे बड़ी चुनौती होती है। इस योजना के जरिए युवा न केवल आर्थिक रूप से सक्षम होंगे, बल्कि उन्हें नौकरी या स्वरोजगार की दिशा में ठोस मार्गदर्शन भी मिलेगा। मुख्यमंत्री का यह कदम युवाओं को आत्मनिर्भर बिहार के निर्माण में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित करेगा।