
भागलपुर बाईपास थाना क्षेत्र अंतर्गत स्थित भव्या स्टोर एक बार फिर चर्चा में है। उत्पाद विभाग को मिली एक गुप्त सूचना के आधार पर बुधवार को अवर निरीक्षक गौतम कुमार ने दल-बल के साथ दुकान पर छापेमारी की, लेकिन मौके से न कोई ब्राउन शुगर, न ड्रग्स, और न ही कोई अन्य नशीला पदार्थ बरामद हुआ।
छापेमारी के बाद विभाग ने दुकान की पूरी तलाशी ली और “कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला” यह लिखित में पुष्टि कर दुकान संचालक से हस्ताक्षर भी लिया। गौतम कुमार ने बताया कि शिकायत रॉकी और बंटी नामक दो व्यक्तियों के खिलाफ थी, लेकिन जांच में कोई आपराधिक सामग्री नहीं पाई गई।
🔁 पहले भी हो चुकी हैं छापेमारियां
दुकान संचालक रॉकी पांडे ने मीडिया से बात करते हुए कहा,
“इस तरह की छापेमारी 4-5 बार हो चुकी है, लेकिन हर बार कुछ भी नहीं मिला। यह या तो मुझे फंसाने की साजिश है या फिर किसी प्रतिद्वंदी दुकानदार द्वारा पैसे देकर की गई बदनामी की कोशिश।”
उन्होंने यह भी बताया कि इस बार उन्हें विभाग द्वारा लिखित में स्पष्ट कर दिया गया है कि दुकान से कुछ भी आपत्तिजनक बरामद नहीं हुआ है, जिससे उन्हें थोड़ी राहत मिली है।
❓अब सवाल प्रशासन से
यह कोई पहला मामला नहीं है जब बिना ठोस सबूत के शिकायत के आधार पर दुकान पर छापेमारी हुई हो। इससे पहले बाईपास थाना पुलिस द्वारा भी इसी दुकान पर छापेमारी की गई थी और तब भी कुछ नहीं मिला था।
अब सवाल उठता है कि –
- क्या बार-बार की जा रही झूठी शिकायतों की भी जांच होगी?
- क्या प्रशासन को गुमराह करने वालों पर कार्रवाई होगी?
- क्या यह मामला कानून के दुरुपयोग का नहीं बनता?
बिहार में शराबबंदी और नशा नियंत्रण को लेकर प्रशासन की कार्रवाई पर पहले ही सवाल उठते रहे हैं। ऐसे में बिना किसी ठोस सबूत के लगातार हो रही छापेमारी न केवल व्यावसायिक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि प्रशासन की साख पर भी प्रश्नचिह्न लगाती है।
रॉकी पांडे, दुकान संचालक –
“मेरे खिलाफ लगातार झूठी शिकायतें की जा रही हैं। मैं किसी भी तरह के अवैध धंधे में शामिल नहीं हूं। मुझे बदनाम करने की कोशिश हो रही है।”
गौतम कुमार, अवर निरीक्षक, उत्पाद विभाग –
“सूचना के आधार पर छापेमारी की गई थी, लेकिन जांच में कोई भी नशीला पदार्थ बरामद नहीं हुआ। हमने इसकी लिखित पुष्टि की है।”