
भागलपुर से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां न्यायालय परिसर में कुख्यात नक्सलियों को पुलिस की मौजूदगी में खुलेआम नाश्ता कराते देखा गया। यह दृश्य न केवल पुलिस की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि कानून व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल भी खड़े करता है।
घटना उस वक्त की है जब जमुई जिले के झाझा थाना क्षेत्र से गिरफ्तार दो नक्सली – विजय यादव और श्रीराम यादव – को भागलपुर के सुलतानगंज थाना में दर्ज मामले में न्यायिक पेशी के लिए कोर्ट लाया गया था।
कोर्ट परिसर में खींचे गए एक वायरल वीडियो में दोनों आरोपियों को हथकड़ी में नाश्ता करते हुए देखा जा सकता है। वीडियो में यह भी साफ नजर आता है कि पुलिस की पकड़ बेहद ढीली थी, जिससे यह प्रतीत हो रहा था कि आरोपी आसानी से फरार भी हो सकते थे।
क्या कहता है कानून?
नियमों के मुताबिक, किसी भी आरोपी को हिरासत में रहते हुए कोर्ट परिसर में बाहरी भोजन नहीं दिया जा सकता क्योंकि इससे नशीली या हानिकारक वस्तु मिलाए जाने का खतरा रहता है। बावजूद इसके पुलिसकर्मियों द्वारा नाश्ता कराना नियमों की खुली अवहेलना मानी जा रही है।
आमजन में आक्रोश, जांच की मांग
इस घटना के सामने आने के बाद पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं। आम लोगों का कहना है कि अगर ऐसे खतरनाक आरोपियों को ढील दी जाएगी, तो यह भविष्य में बड़ी चूक का कारण बन सकता है।
फिलहाल दोनों आरोपियों को पेशी के बाद न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है, लेकिन कोर्ट परिसर में हुई इस लापरवाही की जांच की मांग तेज हो गई है। प्रशासनिक स्तर पर अब यह देखा जाना बाकी है कि संबंधित पुलिसकर्मियों पर क्या कार्रवाई होती है।