
Bhagalpur News: बिहार का शिक्षा विभाग एक बार फिर अपने अनोखे कामकाज के चलते सुर्खियों में आ गया है। इस बार मामला भागलपुर जिले से सामने आया है, जहाँ जिला शिक्षा विभाग ने मृत शिक्षक को पदोन्नति प्रमाण पत्र जांच के लिए कार्यालय में स्वयं उपस्थित होने का फरमान जारी कर दिया है।
क्या है पूरा मामला?
भागलपुर जिला शिक्षा विभाग के स्थापना शाखा ने बुधवार देर शाम स्नातक परीक्षित वेतनमान में पदोन्नति के लिए 20 शिक्षकों की सूची जारी की। इस सूची में सभी शिक्षकों को कहा गया कि वे अपने मूल शैक्षणिक प्रमाण पत्र, सेवा पुस्तिका, प्रवेश पत्र, अंक पत्र और विभागीय अनुमति पत्र के साथ कार्यालय में उपस्थित हों।
इस सूची के चौथे स्थान पर मनोज कुमार झा, शिक्षक, मध्य विद्यालय शिवशंकरपुर, शाहकुंड का नाम है। लेकिन मनोज कुमार झा का निधन 22 मार्च 2025 को पटना में इलाज के दौरान हो गया था। वे कैंसर से पीड़ित थे। उनकी मृत्यु की सूचना और मृत्यु प्रमाण पत्र विद्यालय की प्रधानाध्यापक द्वारा संबंधित प्रखंड कार्यालय को पहले ही सौंप दिया गया था।
शोकाकुल परिवार और शर्मसार विभाग
शिक्षक के परिवार को इस आदेश से गहरा दुख पहुँचा है। मृतक के नाम पर जारी इस नोटिस से शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। इससे पहले भी शिक्षा विभाग कई बार मृत या सेवा निवृत्त शिक्षकों को स्पष्टीकरण नोटिस भेजने के लिए आलोचना झेल चुका है।
विद्यालय की प्रधानाध्यापक की प्रतिक्रिया
स्मृति कुमारी, प्रधानाध्यापक, मध्य विद्यालय शिवशंकरपुर ने कहा:
“22 मार्च को ही मनोज कुमार झा जी का निधन हो गया था, जिसका प्रमाण पत्र प्रखंड कार्यालय में जमा कर दिया गया है। फिर भी विभाग द्वारा उनका नाम सूची में शामिल किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।”
स्थापना पदाधिकारी ने दी सफाई
इस विषय पर जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना), देवनारायण पंडित ने सफाई देते हुए कहा:
“यह केवल प्रमाण पत्र जांच की प्रक्रिया है, पदोन्नति अभी नहीं दी गई है। सूची में यदि कोई मृत शिक्षक शामिल हैं, तो उनका नाम हटा दिया जाएगा।”
पहले भी हुई है किरकिरी
यह कोई पहला मामला नहीं है।
- मार्च 2025 में अटेंडेंस न देने वाले 1388 शिक्षकों से स्पष्टीकरण मांगा गया था, जिनमें कई मृत और सेवानिवृत्त शिक्षक भी शामिल थे।
- 8 मई 2025 को कहलगांव प्रखंड की शिक्षिका उषा कुमारी, जिनका निधन 5 फरवरी को हो चुका था, उनसे भी देरी से स्कूल आने को लेकर स्पष्टीकरण मांगा गया था।