
पटना, 10 सितंबर: नेपाल में हाल ही में हुए ‘Zen Z’ आंदोलन और जेल तोड़कर भागने जैसी घटनाओं के बाद बिहार सरकार ने सीमावर्ती जिलों की सुरक्षा व्यवस्था और मजबूत कर दी है। संभावित खतरे और सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए बुधवार को बिहार के मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में सीमावर्ती जिलों के सभी जिलाधिकारी (DMs) और पुलिस अधीक्षक (SPs) वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े।
बैठक का प्रमुख उद्देश्य नेपाल की अस्थिर परिस्थितियों से बिहार पर पड़ने वाले प्रभावों को रोकना और सुरक्षा को सुनिश्चित करना था। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि सीमा से बिहार में प्रवेश करने वाले प्रत्येक व्यक्ति की सघन जांच की जाए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि बिना गहन जांच-पड़ताल के किसी को भी सीमा पार कर प्रवेश की अनुमति न दी जाए।
मुख्य सचिव ने राज्य के महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों और संवेदनशील ढांचों की सुरक्षा को भी सर्वोच्च प्राथमिकता देने को कहा। इसमें पुल, रेलवे स्टेशन, पावर प्लांट और अन्य आवश्यक संस्थान शामिल हैं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि इन स्थानों पर विशेष निगरानी रखी जाए और संदिग्ध गतिविधियों पर तुरंत कार्रवाई की जाए।
बैठक के दौरान उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया कि यदि किसी भी जिले को अतिरिक्त सहायता या संसाधन की जरूरत होती है, तो वे सीधे उनसे या पुलिस महानिदेशक (DGP) से संपर्क कर सकते हैं। इससे आपात स्थितियों में त्वरित निर्णय और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित हो सकेगी।
इस उच्च स्तरीय बैठक में पुलिस महानिदेशक (DGP) विनय कुमार, अपर पुलिस महानिदेशक (ADG) कुंदन कृष्णन, गृह विभाग के वरीय पदाधिकारी तथा सभी प्रमंडलीय आयुक्त भी मौजूद थे। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्य के सभी जिलाधिकारी, पुलिस महानिरीक्षक (IGs) और पुलिस अधीक्षक भी बैठक में शामिल हुए।
विशेषज्ञों का मानना है कि नेपाल की मौजूदा स्थिति बिहार की सुरक्षा के लिए चुनौती बन सकती है। इसीलिए सरकार ने पहले से तैयारी करते हुए कड़े कदम उठाए हैं। बिहार प्रशासन का यह कदम न केवल सीमावर्ती जिलों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा बल्कि आम जनता को भी सुरक्षित वातावरण प्रदान करने में मददगार होगा।