
भागलपुर, 06 सितंबर: भागलपुर जिले में आज अनंत चतुर्दशी का पर्व पूरे श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। सुबह से ही मंदिरों और घरों में भक्तों की भीड़ उमड़ी और श्रद्धालुओं ने स्नान-ध्यान कर भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा-अर्चना की। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी या अनंत चौदस कहा जाता है। इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु की विशेष पूजा का विधान है।
अनंत चतुर्दशी का महत्व केवल भगवान विष्णु की पूजा से ही नहीं, बल्कि गणेशोत्सव से भी जुड़ा है। इसी दिन दस दिनों तक चलने वाले गणेश उत्सव का समापन होता है। भक्त भगवान विष्णु की आराधना कर अपने हाथों में 14 गांठों वाला ‘अनंत सूत्र’ या ‘रक्षासूत्र’ बांधते हैं। इसे धारण करना जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और सभी कष्टों से मुक्ति का प्रतीक माना जाता है।
भागलपुर के विभिन्न मंदिरों में आज सुबह से ही पूजा-पाठ का सिलसिला चलता रहा। भक्तों ने व्रत रखकर पूरे विधि-विधान के साथ अनंत भगवान की पूजा की। शहर के पंडित अशोक झा ने बताया कि अनंत चतुर्दशी की पूजा में भगवान विष्णु के शेषनाग स्वरूप की आराधना की जाती है। उन्होंने कहा कि पूर्ण श्रद्धा और निष्ठा से इस व्रत को करने पर जीवन में आने वाली कठिनाइयाँ दूर होती हैं और परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
अनंत सूत्र का विशेष महत्व इस पर्व को और भी खास बनाता है। पंडितों के अनुसार अनंत सूत्र में 14 गांठें होती हैं, जो जीवन के 14 लोकों और विष्णु के अनंत स्वरूप का प्रतीक मानी जाती हैं। इसे दाहिने हाथ में पुरुष और बाएं हाथ में महिलाएं धारण करती हैं।
पूरे जिले में धार्मिक आस्था और भक्ति का अद्भुत माहौल देखने को मिला। मंदिरों में भक्तों की कतारें लगीं और कई जगह भजन-कीर्तन तथा प्रसाद वितरण का आयोजन किया गया। श्रद्धालुओं ने बताया कि इस दिन की पूजा से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सभी विपत्तियाँ दूर हो जाती हैं।
अनंत चतुर्दशी का पर्व भागलपुर में आस्था और अध्यात्म का अनोखा संगम बना रहा। भक्तों ने पूरे उल्लास और भक्ति भाव से भगवान विष्णु का स्मरण कर अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना की।