
Bhagalpur News: ह्यूमन राइट प्रोटेक्शन कमीशन के नेशनल वाइस प्रेसिडेंट डॉ. रितेश कुमार राणा का 50वां जन्मदिन भागलपुर के एक निजी होटल में बड़े ही भव्य और यादगार अंदाज में मनाया गया। यह अवसर केवल जन्मदिन का उत्सव ही नहीं बल्कि सम्मान और प्रेरणा का भी मंच बना। केक कटिंग, सांस्कृतिक कार्यक्रम और समाजहित में योगदान देने वाले लोगों के सम्मान ने इस समारोह को विशेष बना दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत सम्मान समारोह से हुई। इस दौरान डॉ. राणा ने भाजपा प्रदेश समिति सदस्य पवन मिश्रा, भाजपा जिला अध्यक्ष संतोष कुमार, अधिवक्ता भोला मंडल, शिक्षक राकेश कुमार समेत समाजसेवा, शिक्षा और राजनीति से जुड़े कई गणमान्य लोगों को अंगवस्त्र और महापुरुषों की तस्वीर भेंटकर सम्मानित किया। इस सम्मान का उद्देश्य समाजहित में कार्य कर रहे लोगों को प्रोत्साहित करना और दूसरों के लिए मिसाल कायम करना था।
इसके बाद मुख्य आकर्षण का पल तब आया जब डॉ. राणा ने अपने परिवार और अतिथियों की मौजूदगी में स्वर्णिम 50वें जन्मदिन का केक काटा। पूरे होटल परिसर में तालियों की गड़गड़ाहट और शुभकामनाओं की गूंज ने इस अवसर को अविस्मरणीय बना दिया।
समारोह का वातावरण सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से और भी जीवंत हो गया। स्थानीय कलाकारों ने गीत-संगीत की शानदार प्रस्तुति दी, जिससे उपस्थित लोगों ने खूब आनंद उठाया। इन प्रस्तुतियों ने न सिर्फ कार्यक्रम को मनोरंजक बनाया बल्कि इसे एक सांस्कृतिक उत्सव का स्वरूप भी प्रदान किया।
इस अवसर पर डॉ. रितेश कुमार राणा ने भावुक शब्दों में कहा कि जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य मानवता की सेवा है। उन्होंने समाज और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए निरंतर प्रयास करने का संकल्प लिया। डॉ. राणा ने कहा— “अगर हर इंसान मानव सेवा के लिए एक कदम आगे बढ़ाए, तो समाज और देश दोनों का कल्याण सुनिश्चित होगा।”
उन्होंने अपने 50वें जन्मदिन पर समाज के हित में कार्य करने वाले लोगों को प्रेरित करने और उन्हें आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई। डॉ. राणा ने यह भी स्पष्ट किया कि आने वाले समय में वे मानवाधिकार संरक्षण और सामाजिक उत्थान के क्षेत्र में और मजबूती से काम करेंगे।
समारोह में मौजूद लोगों ने डॉ. राणा को जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं दीं और उनके दीर्घायु जीवन तथा स्वास्थ्यपूर्ण भविष्य की कामना की।
यह आयोजन न केवल जन्मदिन का जश्न था बल्कि समाजसेवा और मानवाधिकारों की रक्षा के संकल्प को और गहरा करने का अवसर भी बना। भागलपुर की इस शाम ने यह साबित कर दिया कि जब नेतृत्व और सेवा का संगम होता है, तो उत्सव केवल व्यक्तिगत नहीं रहता बल्कि समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बन जाता है।