
पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित ‘संवाद’ में अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति प्रक्रिया के अंतर्गत माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में चयनित 4835 विद्यालय लिपिक और 518 विद्यालय परिचारी सहित कुल 5353 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र प्रदान किया। मुख्यमंत्री ने सांकेतिक रूप से मणि कुमारी, अमित गौरव, दिव्या राज, किरण कुमारी गुप्ता एवं तूबा अशरफ को नियुक्ति पत्र सौंपा।
मुख्यमंत्री ने सभी नवनियुक्त कर्मियों को बधाई देते हुए कहा कि वे ईमानदारी और निष्ठा के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करें और शिक्षा व्यवस्था को और मजबूत बनाने में योगदान दें।
अनुकंपा पर नियुक्ति की पृष्ठभूमि
वर्ष 2006 से शिक्षा विभाग ने मृत शिक्षकों एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों के आश्रितों को शिक्षक पद पर अनुकंपा के आधार पर नियोजित करने का प्रावधान किया था। लेकिन कई मामलों में आश्रित शिक्षक पद के लिए आवश्यक शैक्षणिक योग्यता पूरी नहीं कर पाते थे। इस कारण वर्ष 2020 में अनुकंपा पर विद्यालय लिपिक एवं विद्यालय परिचारी के पदों पर नियोजन की प्रक्रिया शुरू की गई।
वर्तमान सरकार ने इस व्यवस्था को और बेहतर बनाते हुए इन पदों को राज्यकर्मी श्रेणी में शामिल किया है। अब अनुकंपा पर नियुक्त विद्यालय लिपिक और विद्यालय परिचारी को बेहतर वेतनमान और सेवाशर्तें उपलब्ध होंगी।
पूरे राज्य में 5353 अभ्यर्थियों की नियुक्ति
आज आयोजित कार्यक्रम में राज्य भर से कुल 4835 विद्यालय लिपिक और 518 विद्यालय परिचारी नियुक्त किए गए। केवल पटना जिले में ही 212 विद्यालय लिपिक और 28 विद्यालय परिचारी को नियुक्ति पत्र प्रदान किया गया। इससे विद्यालयों के प्रशासनिक और सहायक कार्यों में सुचारूता आएगी।
कार्यक्रम में हुई गरिमामयी उपस्थिति
इस अवसर पर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने मुख्यमंत्री का स्वागत करते हुए उन्हें पुस्तक भेंट की। कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा, जल संसाधन सह संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी, शिक्षा मंत्री सुनील कुमार, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, सचिव अनुपम कुमार और कुमार रवि, बिहार शिक्षा परियोज मयंक वरवड़े सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
शिक्षा विभाग को मिला नया आधार
विशेषज्ञों का मानना है कि इन नियुक्तियों से राज्य के विद्यालयों में प्रशासनिक व्यवस्था मजबूत होगी और शिक्षण कार्यों पर शिक्षकों का ध्यान और अधिक केंद्रित हो सकेगा। यह कदम शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने की दिशा में सरकार की गंभीरता को दर्शाता है।