
पटना: बिहार सरकार ने भूमि से जुड़े मामलों में पारदर्शिता और सुगमता लाने के उद्देश्य से पूरे राज्य में राजस्व महाअभियान की शुरुआत कर दी है। यह अभियान 20 सितम्बर तक चलेगा, जिसके तहत गांव-गांव और हर हलका क्षेत्र में विशेष शिविर लगाए जाएंगे। अब लोगों को जमीन से जुड़े अपने दस्तावेजों के सुधार, दाखिल-खारिज, बंटवारा और ऑनलाइन जमाबंदी जैसी सेवाओं के लिए दफ्तरों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी।
क्या है राजस्व महाअभियान?
राजस्व महाअभियान बिहार सरकार की एक बड़ी पहल है, जिसके अंतर्गत भूमि संबंधी सभी कार्यों को डिजिटल और पारदर्शी बनाया जा रहा है। राजस्वकर्मी सीधे गांव-गांव पहुंचकर लोगों को उनकी ऑनलाइन जमाबंदी की प्रति देंगे। इस प्रक्रिया में नागरिकों का मोबाइल नंबर और अन्य आवश्यक जानकारी पोर्टल पर दर्ज की जाएगी। प्रति प्राप्त करने के समय नागरिकों से रसीद पर हस्ताक्षर भी लिए जाएंगे।
अगर किसी जमाबंदी में त्रुटि या अधूरी जानकारी पाई जाती है, तो मौके पर ही आवेदन देकर उसका सुधार कराया जा सकेगा। जिन संपत्तियों के मालिक का निधन हो चुका है, उनके उत्तराधिकारियों के नाम पर दाखिल-खारिज का फॉर्म भी आसानी से उपलब्ध होगा। वहीं, बंटवारा हो चुकी संपत्तियों के लिए अलग फॉर्म का प्रावधान किया गया है।
शिविर में मिलेंगी ये सुविधाएं
अभियान के दौरान हर हलका क्षेत्र में राजस्व कर्मियों की देखरेख में शिविर आयोजित होंगे। इन शिविरों में कर्मी लैपटॉप और इंटरनेट से लैस रहेंगे ताकि लोगों का आवेदन तुरंत ऑनलाइन दर्ज हो सके।
- नागरिकों को आवेदन करते समय अपना नाम, पिता का नाम, मोबाइल नंबर और पता देना होगा।
- मोबाइल पर भेजे गए ओटीपी से पंजीकरण की पुष्टि होगी।
- पंजीकरण के बाद मोबाइल पर आवेदन संख्या प्राप्त होगी, जिससे लोग अपने आवेदन की स्थिति आसानी से ट्रैक कर सकेंगे।
- यदि आवेदन अधूरा या गलत पाया गया, तो उसे लौटा दिया जाएगा। नागरिक उसमें सुधार कर दोबारा जमा कर सकेंगे।
गांव-गांव में पत्र वितरण की तारीख, शिविर की जगह और टीम के सदस्यों के नाम की जानकारी बिहारभूमि पोर्टल पर उपलब्ध होगी। अगर किसी नागरिक को निर्धारित दिन पर फॉर्म नहीं मिल पाए, तो वह अगले दिन उसी पंचायत में लगने वाले शिविर में इसे जमा कर सकेगा।
पारदर्शिता और समयबद्ध समाधान
इस अभियान का सबसे बड़ा लाभ यह है कि अब आम जनता को दफ्तरों और बिचौलियों के चक्कर नहीं काटने होंगे। हर प्रक्रिया—जमाबंदी सुधार, दाखिल-खारिज या नया पंजीकरण—शिविरों में ही समयबद्ध तरीके से पूरी हो जाएगी। इससे जहां एक ओर लोगों का समय बचेगा, वहीं दूसरी ओर भ्रष्टाचार और मनमानी पर भी अंकुश लगेगा।
जनता के लिए बड़ी राहत
राजस्व महाअभियान न केवल भूमि विवादों को सुलझाने का एक पारदर्शी माध्यम है बल्कि यह गांव-गांव तक डिजिटल सेवा पहुंचाने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। अब ग्रामीण स्तर पर ही दस्तावेजों का सुधार और दाखिल-खारिज जैसे काम निपटाए जाएंगे, जिससे किसानों, भूमिधारकों और आम नागरिकों को सीधा लाभ मिलेगा।
सरकार का मानना है कि इस पहल से बिहार में भूमि प्रबंधन प्रणाली और अधिक आधुनिक, पारदर्शी और जनहितकारी बनेगी।