
भागलपुर जिले के सबौर प्रखंड स्थित ममलखा गांव में गंगा नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया है। बीते दो वर्षों में यहां 300 से अधिक घर नदी की धारा में समा चुके हैं, जिससे सैकड़ों परिवार बेघर हो गए हैं। अब भी कटाव की रफ्तार थमी नहीं है और ग्रामीण हर रोज अपने घर-ज़मीन को निगलते गंगा के तेज बहाव को लाचार होकर देख रहे हैं।
ग्रामीणों का आरोप है कि गंगा कटाव को लेकर समय पर प्रभावी कदम नहीं उठाए गए। जब हालात भयावह हो चुके हैं, तब भी प्रशासन की ओर से केवल खानापूर्ति की जा रही है। कटाव निरोधी कार्य के नाम पर जियो बैग तो डाले जा रहे हैं, लेकिन उनमें बालू की जगह मिट्टी भरी जा रही है, जिससे उनके प्रभावी होने पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि कार्यों में भ्रष्टाचार और लापरवाही की बू साफ झलक रही है। उनका आरोप है कि यह सब सिर्फ दिखावे के लिए किया जा रहा है, जमीन पर कोई असर नहीं दिख रहा। ग्रामीण भयभीत हैं कि अगर जल्द ही प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो पूरा गांव गंगा में समा जाएगा।
प्रशासन की निष्क्रियता और लचर व्यवस्था के कारण अब यह क्षेत्र मानवीय संकट की ओर बढ़ रहा है। लोगों ने सरकार और जिला प्रशासन से कटाव रोकने के लिए ठोस और पारदर्शी कार्रवाई की मांग की है, ताकि उनके आशियाने और भविष्य को सुरक्षित किया जा सके।