
भागलपुर/नाथनगर: गंगा का उफनता पानी अब सिर्फ नदी नहीं रहा, बल्कि तबाही और त्रासदी की रेखाएं खींचने लगा है। नाथनगर प्रखंड की बैरिया पंचायत पूरी तरह से जलमग्न हो चुकी है। यह इलाका अब एक जल कैदखाने में तब्दील हो गया है, जहां लोग भय, भूख और बेबसी के साये में जीने को मजबूर हैं।
बच्चे भूख से बिलख रहे, बुजुर्गों की आंखों में सिर्फ एक सवाल: “क्या कोई बचाएगा?”
जहां कभी खेतों में किसान हल चलाते थे, बच्चे खेलते थे, वहां अब सिर्फ पानी की सनाटी और मौन चीखें सुनाई देती हैं। लोग अपने घरों में नहीं, बल्कि पानी के बीच फंसे हुए हैं — न कोई राहत सामग्री, न नाव, न मेडिकल टीम और न ही प्रशासन की कोई मौजूदगी।
प्रशासनिक चुप्पी बनी लोगों की पीड़ा
स्थानीय लोगों का कहना है कि अब तक किसी भी सरकारी अधिकारी या राहत टीम ने इलाके की सुध नहीं ली। बैरिया पंचायत के लोग लगातार मदद की आस में गंगा की लहरों की तरफ नज़रें गड़ाए बैठे हैं। यह चुप्पी और देरी इस त्रासदी को और भयावह बना रही है।
हर बीतता पल सजा की तरह
एक स्थानीय वृद्ध महिला की आंखों में आंसू हैं, जो कहती हैं — “पानी ने सब कुछ छीन लिया, अब तो जान बच जाए यही काफी है।” वहीं कुछ युवक मोबाइल नेटवर्क के सहारे वीडियो भेजकर मदद की गुहार लगा रहे हैं।
स्थिति की गंभीरता को लेकर प्रशासन की जवाबदेही जरूरी
यह सिर्फ बाढ़ नहीं, बल्कि प्रशासनिक संवेदनशीलता की अग्निपरीक्षा है। ऐसे वक्त में सवाल सिर्फ यह नहीं कि पानी कब उतरेगा — सवाल यह भी है कि सरकार कब जागेगी?