
भागलपुर: भागलपुर व्यवहार न्यायालय में ऊर्जा विभाग के पूर्व प्रधान सचिव संजीव हंस, उनके रिश्तेदार दामोदर झुनझुनवाला और कई विभागीय अधिकारियों के खिलाफ टाइटल सूट (मामला संख्या 365/2025) दायर किया गया है। याचिका में बिहार सरकार और ऊर्जा विभाग से ₹10 करोड़ का मुआवजा भी मांगा गया है।
यह मामला डीएन सिंह रोड निवासी और खलीफाबाग चौक स्थित कृष्णा सिल्क की संचालिका मंजू देवी झुनझुनवाला ने दाखिल किया है। उनकी ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभय कांत झा ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में विस्तृत जानकारी दी।
पति के निधन के बाद शुरू हुआ उत्पीड़न
मंजू देवी ने याचिका में आरोप लगाया है कि वर्ष 2020 में उनके पति के निधन के बाद संजीव हंस और उनके देवर ने साजिशन उन्हें परेशान करना शुरू किया। उन पर बिजली चोरी और अन्य झूठे आरोप लगाए गए, जिससे उनकी प्रतिष्ठा और व्यवसाय को नुकसान पहुंचा।
इन अधिकारियों को बनाया गया पक्षकार
- बिहार सरकार के मुख्य सचिव
- ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव
- साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (SBPDCL) के प्रबंध निदेशक
- मायागंज विद्युत कार्यालय के कार्यपालक अभियंता
- मोजाहिदपुर विद्युत सब-स्टेशन के सहायक अभियंता
भ्रष्टाचार की शिकायत पर नहीं हुई सुनवाई
अधिवक्ता झा ने बताया कि मंजू देवी ने विभागीय भ्रष्टाचार के खिलाफ कई बार शिकायतें दर्ज कराईं, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। उल्टे उन्हें बदनाम और प्रताड़ित किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि यदि समय रहते संज्ञान लिया जाता, तो “संजीव हंस अब तक जेल में होते।”
“यह सिर्फ एक महिला की लड़ाई नहीं, व्यवस्था की जवाबदेही की मांग है”
प्रेस वार्ता में अधिवक्ता झा ने कहा कि यह याचिका न केवल मंजू देवी की प्रतिष्ठा और न्याय की लड़ाई है, बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही को स्थापित करने की दिशा में एक गंभीर प्रयास है।
मामला कोर्ट की निगरानी में विचाराधीन
चूंकि इस प्रकरण में एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और कई शीर्ष विभागीय अधिकारी प्रतिवादी हैं, यह मामला भागलपुर सहित पूरे राज्य में चर्चा का विषय बन गया है। कोर्ट में कानूनी प्रक्रिया के तहत सुनवाई जारी है।