
बिहार की धार्मिक नगरी सुल्तानगंज एक बार फिर अपने नाम परिवर्तन की मांग को लेकर सुर्खियों में है। श्रावणी मेले से पहले स्थानीय नागरिकों और संत समाज ने इस ऐतिहासिक नगरी का नाम बदलकर अजगैबीनाथ धाम रखने की पुरानी मांग को फिर से ज़ोर-शोर से उठाया है।
उत्तरवाहिनी गंगा के किनारे स्थित यह पावन नगर भगवान शिव के चमत्कारी स्वरूप बाबा अजगैबीनाथ की स्थली है, जहां साल भर श्रद्धा और आस्था का वातावरण बना रहता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह नगर किसी “सुल्तान” का नहीं, बल्कि “बाबा भोलेनाथ” का है, और इसका नाम उसी अनुरूप होना चाहिए।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
इतिहासकारों के अनुसार, इस नगर का प्राचीन नाम हिरण्यपुरी और बाद में अजगैबीनाथ धाम था। मुगल शासनकाल में इसका नाम बदलकर सुल्तानगंज रख दिया गया। यही वह नगर है जहां से हर वर्ष सावन महीने में लाखों काँवरिया गंगाजल लेकर बाबा बैद्यनाथ धाम, देवघर की ओर कूच करते हैं।
नाम परिवर्तन प्रस्ताव भी हो चुका है पारित
बीते वर्ष सुल्तानगंज नगर परिषद ने एक बोर्ड बैठक में सर्वसम्मति से नाम परिवर्तन का प्रस्ताव पारित कर बिहार सरकार को भेजा था। हालांकि, मामला कुछ समय के लिए ठंडे बस्ते में चला गया था। अब जब श्रावणी मेला करीब है, यह मुद्दा फिर से गरमाने लगा है।
संत समाज और जनप्रतिनिधियों का समर्थन
संत समाज से लेकर जनप्रतिनिधि भी इस मांग के समर्थन में हैं। महंत प्रेमानंद गिरी और नगर परिषद सभापति राजकुमार गुड्डू ने भी खुलकर इसे धार्मिक भावना से जुड़ा मुद्दा बताया है।
एयरपोर्ट का नाम भी अजगैबीनाथ!
उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी पूर्व में इस मांग का समर्थन कर चुके हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि यहां प्रस्तावित ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट का नाम ‘अजगैबीनाथ धाम एयरपोर्ट’ रखा जाएगा।
उम्मीद की किरण
स्थानीय लोग आश्वस्त हैं कि इस बार जब मंत्रीगण और नेता श्रावणी मेले के उद्घाटन मंच पर आएंगे, तो वे इस नाम परिवर्तन पर ठोस घोषणा करेंगे। यह सिर्फ नाम नहीं, एक धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान की पुनर्स्थापना है।