
आज़ादी के 70 वर्षों के बाद भी भागलपुर जिले के बिहपुर विधानसभा क्षेत्र के हरियो पंचायत स्थित आहुति गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं की राह देख रहा है। सड़क, स्वास्थ्य सेवा और स्वच्छ पेयजल जैसी मूलभूत आवश्यकताओं से वंचित इस गांव के ग्रामीणों ने बुधवार को उप विकास आयुक्त प्रदीप कुमार सिंह से मिलकर अपनी पीड़ा साझा की और गांव की दयनीय स्थिति पर कार्रवाई की माँग की।
ना सड़क, ना अस्पताल, ना साफ़ पानी
ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने आज तक गांव में एक भी पक्की सड़क नहीं देखी। गांव की गलियों में कच्चे रास्ते और कीचड़ ही आम जीवन का हिस्सा हैं। बीमार व्यक्तियों को अस्पताल ले जाना एक दुःस्वप्न से कम नहीं होता।
एक ग्रामीण ने कहा,
“जब से होश संभाला है, तब से यही हाल देख रहे हैं। सड़क नहीं है, अस्पताल नहीं है, आंगनबाड़ी महीनों बंद रहती है। बीमार को चारपाई पर उठाकर ले जाना पड़ता है।”
गांव में नल-जल योजना का लाभ भी नहीं पहुंच पाया है। लोग आज भी गंदे पानी पर निर्भर हैं, जिससे गांव में बीमारियां और स्वास्थ्य समस्याएं आम हो गई हैं।
प्रशासन से लगाई गुहार
गांव के आक्रोशित ग्रामीणों ने भागलपुर के उप विकास आयुक्त को आवेदन सौंपा और जल्द से जल्द गांव की स्थिति सुधारने की अपील की।
उप विकास आयुक्त प्रदीप कुमार सिंह ने कहा कि,
“हमने पांच सदस्यीय जांच टीम का गठन किया है। टीम जल्द ही गांव का दौरा कर रिपोर्ट सौंपेगी, जिसके आधार पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।”
अब निगाहें प्रशासन पर
गांव के लोगों को अब उम्मीद है कि यह कार्यवाही सिर्फ कागज़ों तक सीमित न रहे, बल्कि ज़मीनी स्तर पर ठोस कदम उठाए जाएं।
सवाल यह है: क्या आज़ादी के 75 साल बाद भी देश के कोनों में बसे गांव ऐसे ही उपेक्षित रहेंगे? क्या लोकतंत्र की रोशनी इन अंधेरे गांवों तक कभी पहुंचेगी?