
Bhagalpur News: हर साल गंगा किनारे बसे गांवों में कटाव की त्रासदी दोहराई जाती है, लेकिन इस बार भी सबक लेने के बजाय लापरवाही ही दोहराई जा रही है। भागलपुर जिले के सबौर प्रखंड अंतर्गत मसाढू गांव में पिछले साल हुए भीषण कटाव के बावजूद अब तक न तो कटावरोधी कार्य शुरू हुआ है और न ही कटाव पीड़ितों को मुआवजा मिल पाया है।
पिछले साल 45 से 50 घर समा गए थे गंगा में
2024 की बारिश के दौरान मसाढू में गंगा के भीषण कटाव ने तबाही मचा दी थी। लगभग 50 घर, साथ में सड़क, मंदिर, पानी टंकी, किसान भवन और ज़मीन गंगा की गोद में समा गए। दर्जनों परिवार बेघर हो गए, लेकिन एक साल बाद भी हालात जस के तस हैं।
कटावरोधी कार्य गाँव के आगे, पीड़ितों के सामने नहीं
इस वर्ष जल संसाधन विभाग ने मसाढू से आगे के एक गांव में कटावरोधी कार्य शुरू किया है, लेकिन जहाँ पिछले साल सबसे अधिक नुकसान हुआ, वहाँ एक भी ईंट नहीं रखी गई। ग्रामीणों का कहना है कि कटाव वहीं से फिर से शुरू होगा, और यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो इस बार बचे-खुचे घर और ज़मीन भी गंगा में समा सकते हैं।
मुआवजा सिर्फ़ ‘स्वीकृति पत्र’ तक सीमित
कटाव पीड़ितों में से 42 लोगों को मुआवजा स्वीकृति पत्र दिए गए थे, लेकिन आज तक किसी को भी राशि नहीं मिली। लोग झोपड़ियों या रिश्तेदारों के घरों में जीवन काट रहे हैं। प्रशासनिक उदासीनता और विभागीय सुस्ती ने लोगों को एक बार फिर से हाशिए पर धकेल दिया है।
जनप्रतिनिधियों और विभागों पर उठ रहे सवाल
स्थानीय लोगों का आरोप है कि न तो जनप्रतिनिधि उनकी सुध ले रहे हैं, न ही आपदा प्रबंधन विभाग और न ही जल संसाधन विभाग। उनका कहना है कि सरकार सिर्फ़ आश्वासन देती है, लेकिन ज़मीनी हकीकत बिल्कुल विपरीत है।
प्रशासन का जवाब
भागलपुर के जिलाधिकारी डॉ. नवल किशोर चौधरी ने कहा है कि,
“मसाढू से आगे दूसरे गांव में फिलहाल कटावरोधी कार्य चल रहा है। मसाढू के लिए भी विभागीय बैठक हो चुकी है, जल्द ही वहां कार्य शुरू किया जाएगा।”
लेकिन अब सवाल यह है कि “जलस्तर बढ़ने से पहले क्या वाकई कार्य शुरू होगा?” या फिर हर साल की तरह बारिश के बाद ही राहत कार्य की खानापूर्ति होगी?
मुख्यमंत्री के बयान बनाम ज़मीनी हकीकत
हाल ही में मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने दोहराया था कि
“बिहार के खजाने पर पहला हक़ आपदा पीड़ितों का है।”
तो सवाल उठता है कि क्या मसाढू के कटाव पीड़ित आपदा पीड़ित नहीं हैं?