
पटना, 23 सितंबर।बिहार सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने और पारंपरिक खादी उद्योग को नई पहचान दिलाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। राज्य में अब खादी संस्थानों को 90 प्रतिशत अनुदान पर चरखा और करघा उपलब्ध कराया जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य खादी उद्योग को पुनर्जीवित करना और गांवों में स्वरोजगार व आत्मनिर्भरता के अवसरों को बढ़ावा देना है।
सरकारी योजना के तहत खादी संस्थाओं को बेहद कम लागत पर चरखे और करघे दिए जा रहे हैं। इसके साथ ही 40 हजार रुपये प्रति चरखा की दर से मात्र 4 प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर लोन की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। इस ऋण योजना से बुनकर अपनी उत्पादन क्षमता को बढ़ा पाएंगे और बड़े बाजारों में प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे।
राज्य सरकार का कहना है कि यह कदम न केवल आत्मनिर्भर भारत अभियान और वोकल फॉर लोकल की दिशा में सहायक होगा बल्कि खादी को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय बाजारों में नई पहचान दिलाने का मार्ग भी प्रशस्त करेगा।
खादी केवल एक वस्त्र नहीं, बल्कि भारत की संस्कृति, आत्मसम्मान और सतत विकास का प्रतीक मानी जाती है। आज यह पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने का माध्यम भी बन चुकी है। सरकार का मानना है कि यदि ग्रामीण स्तर पर खादी उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा तो बड़ी संख्या में महिलाएं और युवा इससे जुड़कर आत्मनिर्भर बनेंगे।
खादी उद्योग से जुड़ने से गांवों में आर्थिक गतिविधियों को रफ्तार मिलेगी और रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी। साथ ही, पलायन जैसी समस्याओं को कम करने में भी यह पहल कारगर साबित होगी।
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