
पटना: बिहार सरकार ने किसानों के हित में एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए राज्य के 20 बाजार प्रांगणों को राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) से जोड़ने की स्वीकृति प्रदान की है। यह कदम कृषोन्नति योजना अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2025-26 में उठाया गया है। इस योजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा 6 करोड़ रुपये की वन टाइम ग्रांट उपलब्ध कराई गई है, जो शत-प्रतिशत केन्द्रांश होगी।
ई-नाम भारत सरकार का एक महत्वाकांक्षी अखिल भारतीय इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल है, जिसका संचालन लघु किसान कृषि व्यवसाय संघ (SFAC) द्वारा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तहत किया जाता है। इसका उद्देश्य देशभर की एपीएमसी मंडियों को जोड़कर किसानों और व्यापारियों के लिए एक एकीकृत राष्ट्रीय बाजार तैयार करना है।
किसानों को होंगे प्रत्यक्ष लाभ
इस योजना से बिहार के किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए स्थानीय मंडियों तक सीमित रहने की आवश्यकता नहीं होगी। वे अब पूरे देश के बाजार में खरीदारों तक पहुंच सकेंगे और अपनी फसल का बेहतर व प्रतिस्पर्धी मूल्य प्राप्त कर पाएंगे।
इसके साथ ही, ऑनलाइन भुगतान की सुविधा किसानों को समय पर आय सुनिश्चित करेगी। गुणवत्ता-आधारित नीलामी प्रणाली से उपज का मूल्य पारदर्शी और निष्पक्ष रूप से तय होगा।
डिजिटल कृषि निदेशालय से होगी निगरानी
कृषि विभाग के प्रधान सचिव पंकज कुमार ने बताया कि बिहार में पहले ही देश का पहला डिजिटल कृषि निदेशालय स्थापित किया गया है। ई-नाम को इससे जोड़ने के बाद राज्य में बाजार प्रांगणों की अनुश्रवण व्यवस्था और अधिक प्रभावी हो जाएगी। इससे किसानों को अपनी उपज की बिक्री में सुविधा होगी और खरीदारों को भी गुणवत्ता पर आधारित खरीद सुनिश्चित होगी।
कृषि क्षेत्र में नई ऊँचाइयाँ
ई-नाम से कृषि विपणन प्रणाली में एकरूपता और सुव्यवस्था आएगी। खरीदारों और विक्रेताओं के बीच सूचना की कमी दूर होगी और वास्तविक मांग-आपूर्ति के आधार पर रियल-टाइम मूल्य तय होगा।
यह कदम न केवल किसानों की आय में वृद्धि करेगा बल्कि बिहार के कृषि व्यापार को नई दिशा देगा। अब राज्य के किसान अपनी फसल को राष्ट्रीय स्तर पर बेचकर बड़े बाजारों और बेहतर दामों तक पहुंच बना सकेंगे।
ऐतिहासिक पहल
विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय बिहार के कृषि क्षेत्र के लिए मील का पत्थर साबित होगा। इससे राज्य में कृषि क्षेत्र को नई पहचान मिलेगी और किसान आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर होंगे।