
भागलपुर: ग्रामीण गरीब परिवारों की आजीविका को मजबूत बनाने और पोषण स्तर को सुधारने के लिए जीविका द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में समेकित मुर्गी विकास योजना-IV के तहत गुरुवार को पीरपैंती प्रखंड के बंदूजयराम पंचायत में विशेष पहल की गई। इस अवसर पर अनुसूचित जनजाति (ST) समुदाय से जुड़े 100 परिवारों के बीच कुल 2475 चूज़ों का वितरण किया गया।
कार्यक्रम का उद्देश्य छोटे स्तर पर आजीविका का साधन उपलब्ध कराना है ताकि ग्रामीण परिवार आर्थिक रूप से सशक्त बन सकें। मुर्गी पालन के जरिए परिवारों को अंडा और मांस जैसे पौष्टिक आहार सहज उपलब्ध होंगे, साथ ही अतिरिक्त आय का स्रोत भी तैयार होगा। यह पहल विशेष रूप से ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।
मुर्गी पालन से न केवल परिवारों की आय में वृद्धि होगी बल्कि बच्चों और महिलाओं के पोषण स्तर में भी सुधार आएगा। जीविका समूह से जुड़ी महिलाएं इस पहल को लेकर काफी उत्साहित नजर आईं। उनका कहना है कि मुर्गी पालन के जरिए वे अपने परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार ला पाएंगी और बच्चों को पौष्टिक आहार भी उपलब्ध करा सकेंगी।
अधिकारियों ने बताया कि इस तरह की योजनाओं का मुख्य मकसद ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के नए अवसर पैदा करना और समुदाय को आत्मनिर्भर बनाना है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में इस योजना का विस्तार किया जाएगा ताकि अधिक से अधिक परिवार इससे लाभान्वित हो सकें।
स्थानीय लोगों ने इस पहल का स्वागत किया और कहा कि छोटे स्तर पर शुरू की गई यह योजना भविष्य में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करेगी। खासकर महिलाओं की भूमिका इसमें महत्वपूर्ण होगी क्योंकि मुर्गी पालन प्रायः घरेलू स्तर पर आसानी से किया जा सकता है।
इस अवसर पर जीविका से जुड़े पदाधिकारियों ने बताया कि चूज़ों के वितरण के साथ ही लाभार्थियों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा ताकि वे आधुनिक तकनीक और बेहतर देखभाल के तरीकों को अपनाकर अधिक उत्पादन कर सकें।
समेकित मुर्गी विकास योजना-IV के इस चरण से न केवल 100 परिवारों की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव आएगा बल्कि यह पहल पूरे क्षेत्र में अन्य परिवारों को भी प्रेरित करेगी। ग्रामीण आजीविका को स्थायी और सशक्त बनाने की दिशा में यह कदम मील का पत्थर साबित हो सकता है।