रिपोर्ट – रवि शंकर सिन्हा
सिल्क टीवी भागलपुर (बिहार) :शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप माता ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना की गई। इस दौरान जिले के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पूरे भक्ति और उत्साह के साथ दुर्गा सप्तशती पाठ एवम् वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मां ब्रह्मचारिणी की विधि विधान के साथ भक्तों ने पूजा की।

बता दें कि ब्रह्मचारिणी स्वरूप मां दुर्गा का अविवाहित स्वरूप है, जो तपस्या, वैराग्य, प्रेम, निष्ठा, ज्ञान और ब्रह्म समान आचरण की प्रतीक मानी जाती है। मां ब्रह्मचारिणी एक हाथ में माला और दूसरे हाथ में कमंडल धारण करती हैं, और सच्चे मन से इनकी पूजा नियम पूर्वक करने पर भक्तों को सुख शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

नई शुरुआत का प्रतीक माना जाने वाला हरा रंग धारण करने वाली मां ब्रह्मचारिणी माता पार्वती का ही स्वरूप है, जिन्हें मां दुर्गा समेत सहस्त्र नामों से जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवाधिदेव महादेव को पति के रूप में प्राप्त करने की इच्छा से पर्वत राज हिमालय की पुत्री माता पार्वती ने हजारों वर्षों तक कठोर तपस्या की जिस कारण इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा।

वहीं शहर के विभिन्न दुर्गा मंदिरों और पूजा पंडालों में मां दुर्गा की आराधना के साथ सप्तशती पाठ कर भक्तों ने माता का जयकारा लगाया। इधर नवरात्र की षष्ठी और सप्तमी तिथि को माता का पट खोले जाने को लेकर प्रतिमा निर्माण को अंतिम रूप देने में कलाकार लगे हुए है एव पंडाल निर्माण का कार्य भी तेजी से किया जा रहा है।

वहीं शहर के मारवाड़ी पाठशाला परिसर में नवजुवक संघ द्वारा वर्ष कोलकाता दक्षिणेश्वरी काली मंदिर का दृश्य बनाया जा रहा है, जबकि मुंदीचक गढ़ैया दुर्गा मंदिर परिसर में बनाए जा रहे पंडाल को तमिलनाडु के राधा कृष्ण मंदिर का स्वरूप दिया जा रहा है।