
रिपोर्ट – सैयद ईनाम उद्दीन
सिल्क टीवी/भागलपुर (बिहार) : सरकारी संस्थानों में घूसखोरी महामारी की तरह फैली हुई है, धीमी और कठिन नौकरशाही प्रक्रिया के साथ अफसरों का लालफीताशाही रवैया भी फाइलों को डंप करने का बेहतरीन तरीका है। वहीं थाना हो या तहसील, कलक्ट्रेट हो या कमिश्नरी हर जगह काम कराने का अलग-अलग दाम देना होता है। पब्लिक की भागेदारी वाले विभागों का तो हाल बेहाल है। बात करें भागलपुर नगर निगम की तो यहां किसी भी रुटीन वर्क में समस्याएं पैदा ही, इसीलिए की जाती हैं कि लोग समाधान के लिए कार्यालय का चक्कर काटें और थक-हारकर संबंधित अधिकारी को चढ़ावा-चढ़ाएं। इस बात का खुलासा हम नहीं बल्कि निगम के कर्मी खुद कर रहें हैं। इसको लेकर शुक्रवार नगर निगम ट्रेड लाइसेंस शाखा के प्रभारी निरंजन मिश्रा ने नगर आयुक्त प्रफुल्ल चंद्र यादव, मेयर सीमा साहा और डिप्टी मेयर राजेश वर्मा को लिखित आवेदन देकर सिटी मैनेजर रवीश चंद्र वर्मा पर घूस मांगने का आरोप लगाया है। वहीं कर्मी निरंजन मिश्रा ने कहा कि नगर प्रबंधक के पास वे जब भी ट्रेड लाइसेंस पर हस्ताक्षर कराने जाते हैं, तब उनसे पैसे का डिमांड किया जाता है। उन्होंने कहा कि घूस नहीं देने के कारण आज तक सिटी मैनेजर ने किसी भी अनुज्ञप्ति पर हस्ताक्षर नहीं किया। इधर ट्रेड लाइसेंस को लेकर निगम कार्यालय का चक्कर काट रहे लोगों ने कहा लाइसेंस नहीं मिलने से उनका रोजगार प्रभावित हो रहा है। लोगों ने बताया कि प्रभारी कहते हैं कि एक-दो दिन में लाइसेंस मिल जाएगा लेकिन कई दिन बीत गए हैं फिर भी लाइसेंस नहीं मिला। निरंजन मिश्रा ने यह भी आरोप लगाया है कि रवीश चंद्र वर्मा ऑफिस टाईम समाप्त होने के बाद उसे बुलाते हैं। वहीं पूरे मामले को लेकर जब नगर प्रबंधक रवीश चंद्र वर्मा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि नगर आयुक्त ने जो आदेेश दिया है वह उसी का पालन कर रहें हैं। साथ ही कहा कि ट्रेड लाइसेंस घोटाले की जांच जब तक पूरी नहीं हो जाती तब तक वे इससे जुड़ी संचिकाओं में कुछ भी नहीं करेंगे। सिटी मैनेजर ने कहा कि कर्मी द्वारा उनके ऊपर पैसे मांगने का लगाया गया आरोप बेबुनियाद और निराधार है। गौरतलब हो कि गुरुवार को भी नगर निगम के डिप्टी मेयर राजेश वर्मा ने उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद के सामने नगर प्रबंधक पर झूठ बोलने का आरोप लगाया था।