रिपोर्ट – सैयद ईनाम उद्दीन
सिल्क टीवी/भागलपुर (बिहार) : ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ हथियार उठाने वाले शहीद तिलका मांझी की भागलपुर में कई स्मृतियां है। इनके नाम पर तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, तिलकामांझी चौक, तिलकपुर गांव और स्मार्ट सिटी में तिलका मांझी पार्क भी बनाया गया। इन तमाम स्मृतियों के बावजूद आम और खास लोगों द्वारा वीर शहीद के बलिदान दिवस को भूला देना उनके स्मारक और प्रतिमा को महज एक पत्थर की मूर्ति साबित करता दिख रहा है।

बड़ी बात यह है कि कई क्रांतिकारियों की शहादत दिवस पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया जाता है। लेकिन आज उसी तिलकामांझी के शहादत दिवस पर उनकी उपेक्षा किया जाना, संवेदनाओं पर सवाल खड़े करता है। जबकि तिलकामांझी चौक शहर का हृदय-स्थल माना जाता है, जिसके एक ओर डीएम आवास है तो दूसरी तरफ एसएसपी आवास स्थित है।

इस चौक से प्रतिदिन जिला प्रशासन, विभिन्न सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों से जुड़े लोग गुजरते हैं। वहीं शहादत दिवस पर अमर शहीद तिलका मांझी की आदमकद प्रतिमा धूल फांकती नजर आई। जबकि यह प्रतिमा उनके शौर्य एवं बलिदान की गाथा का प्रतीक है। कहा जाता है कि तिलका मांझी ने 1771 से 1784 तक अंग्रेजों से लम्बी लड़ाई लड़ी और 1778 ई. में पहाडिय़ा सरदारों से मिलकर रामगढ़ कैंप को अंग्रेजों से मुक्त कराया। इसके बाद 1784 में तिलका मांझी ने कलेक्टर क्लीवलैंड को मार डाला।

जिसके बाद अंग्रजों ने तिलका मांझी की सेना पर हमला कर दिया। जिसमें उनके कई लड़ाके मारे गए और उन्हें भी बंदी बना लिया गया। इसके बाद ब्रिटिश हुकूमत ने 13 जनवरी 1785 ई. को भागलपुर के तिलकामांझी चौराहे पर वटवृक्ष में लटकाकर उन्हें फांसी दे दी। वर्तमान समय में तिलकामांझी चौक पर उनकी आदमकद प्रतिमा वीरगाथा और शहादत की याद दिलाती है। लेकिन इन सबके बीच दु:खद बात यह है कि न तो जिला प्रशासन, न ही नगर सरकार और न ही फोटो खिंचवाने वाले नेता और न ही समाजसेवीयों ने उनके शहादत दिवस को याद किया। इतना ही नहीं पूर्वी बिहार में शिक्षा का केंद्र कहे जाने वाले तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में भी वीर क्रांतिकारी के शहीद दिवस को नजरअंदाज किया गया।

जबकि विश्वविद्यालय का नाम ही तिलका मांझी पर है। इधर बिहार फूले अंबेडकर युवा मंच एवं बहुजन स्टूडेंट्स यूनियन की ओर से तिलका मांझी का 237वां शहादत दिवस मनाया गया। गुरूवार को टीएमबीयू प्रशासनिक भवन के सामने तिलका मांझी की प्रतिमा पर जब पीजी अंबेडकर विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. विलक्षण रविदास माल्यार्पण करने पहुंचे तो वहां किसी प्रकार की तैयारी नहीं की गई थी।

यह देख प्रो. विलक्षण रविदास भड़क गए और विश्वविद्यालय प्रशासन के कार्यों की निंदा की। जिसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन की नींद टूटी। वहीं डीएसडब्ल्यू प्रो. रामप्रवेश सिंह, प्रॉक्टर प्रो. रतन मंडल, परीक्षा नियंत्रक प्रो. अरूण कुमार सिंह कई अधिकारी और कर्मियों ने तिलका मांझी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया।

कार्यक्रम को लेकर जब डीएसडब्ल्यू से बात की गई तो उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि प्रति कुलपति प्रो. रमेश कुमार के इंतजार में थोड़ा विलंब जरूर हुआ लेकिन उपेक्षा की कोई बात नहीं है। इधर प्रो. विलक्षण रविदास ने कहा कि अमर शहीद तिलका मांझी के शहादत दिवस की जिस तरह विश्वविद्यालय प्रशासन ने उपेक्षा की वह निंदनीय है। उन्होंने बताया कि यही हाल रहा तो एक दिन हमारी पीढ़ी वीर सपूतों को भूल जाएगी।