रिपोर्ट – सैयद ईनाम उद्दीन
सिल्क टीवी/भागलपुर (बिहार) : राष्ट्रीय मानवाधिकार सर्वेक्षण की ओर से भागलपुर के भीखनपुर में रविवार को राज्य स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उदघाटन मानवाधिकार सर्वेक्षण के राष्ट्रीय संगठन सचिव के. पी. गौतम, झारखंड के प्रदेश अध्यक्ष विनोद ठाकुर, प्रदेश सचिव, डॉ. ब्रजेश ठाकुर, आदित्य आनंद , प्रमंडलीय अध्यक्ष ताहा हफीज़ जानी और संगठन से जुड़े पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से किया।

इस दौरान ह्यूमन राइट्स एंड कम्युनिटी पुलिसिंग विषय पर देश के विभिन्न राज्यों से आए सोशल एक्टिविस्ट ने अपने अपने विचार रखे। साथ ही मानवाधिकार के संरक्षण और उसके अधिकार पर चर्चा की। वहीं संगठन के प्रमंडलीय सचिव ऐनुल होदा ने मानवाधिकार को लेकर ट्रिपल पी पर चर्चा की।

\ उन्होंने कहा कि पॉजिटिव इंटरेक्शंस, पार्टनरशिप और प्रॉब्लम सॉल्विंग का फार्मूला अपना कर समाज में पुलिस पब्लिक के बीच की दूरी को कम किया जा सकता है। समाजसेवी ऐनुल होदा ने कहा कि लाठी के जोर पर समाज नहीं सुधारा जा सकता और आज कदम कदम पर मानव अधिकार के संरक्षण की जरूरत है। इसके पूर्व अतिथियों का स्वागत जिला अध्यक्ष्य मोहम्मद नदीम ने अंगवस्त्र देकर किया।

जबकि कार्यक्रम में जिले के पुलिस पदाधिकारियों के शामिल नहीं होने पर संगठन के सदस्यों में मायूसी दिखी। वहीं सचिव के. पी. गौतम ने कहा कि हमारे संगठन का काम समाज के ज्यादा से ज्यादा लोगों को अधिकारों के प्रति जागरूक करना है। उन्होंने बताया कि देश में मानवाधिकार हनन की घटनाएं, महिला उत्पीड़न, यौन शोषण और बाल श्रम निरंतर बढ़ती जा रही है।

मंच से वक्ताओं ने कहा कि संविधान ने सभी नागरिकों को समान अधिकार दिया है। परंतु इसका लाभ आम जनता को नहीं मिल पा रहा। इन्हीं समस्याओं के निवारण के लिए यह संगठन प्रयासरत है। मौके पर रफिया अतहर और वंदना झा ने कहा कि किसी भी इंसान की जिंदगी, आजादी, बराबरी और सम्मान का अधिकार है, मानवाधिकार कहलाता है।

डॉ. शाहिद रजा जमाल और डॉ. हबीब मुर्शिद खां ने कहा कि नागरिकों के राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार की रक्षा के लिए 12 अक्टूबर,1993 में भारत सरकार ने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन किया था। जिसका कार्यक्षेत्र में काफी विस्तृत है। इस अवसर पर शाद राफे, मिस्टर, विक्रम कुमार, रंजीत सिंह, राकेश झा समेत कई लोग मौजूद रहे।