
रिपोर्ट – सैयद ईनाम उद्दीन
सिल्क टीवी/भागलपुर (बिहार) : मुगलकाल के पूर्व से ही भागलपुर सूफी संतों का शहर रहा है। यहां मौजूद प्रख्यात सूफी-संतों के मजार इस बात के सबूत हैं। शहरी क्षेत्र की बात करें तो यहां भी बहुत सी दरगाह है, लेकिन हुसैनबाद के मुगलपुरा इलाके में स्थित हजरत शाह हसन पीर बासाफा की दरगाह का अपना महत्व है।

यही कारण है कि यहां वार्षिक उर्स के मौके पर सभी मजहब के लोग पूरी अकीदत और आस्था के साथ देशभर से पहुंचते हैं। हजरत शाह हसन पीर बासफा के 82वां सालाना उर्स-ए-पाक को लेकर बुधवार को मुगलपुरा से बैंड बाजे के साथ चादर निकाला गया। इस दौरान चादर देखने के लिए विभिन्न इलाकों में लोग अपने अपने घरों के बाहर नजर आए।

मजार कमेटी के अध्यक्ष शेर खान, सचिव सऊद आलम, मो. बेलाल हुसैन और कोषाध्यक्ष जाहिद ने बताया कि इस बार उर्स को लेकर सुरक्षा के व्यापक इंतेजाम किए गए हैं और पूरे मेला मैदान पर सीसीटीवी कैमरे से नजर रखी जा रही है। साथ ही कमेटी से जुड़े नौजवान और पुलिस प्रशासन दो दिवसीय कार्यक्रम को लेकर सतर्क है। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के पहले दिन समाजसेवी प्रवीण कुमार साह मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।

वहीं कमेटी के शमशेर और राहिद ने बताया कि चादरपोशी के बाद सामूहिक रूप से मुल्क में अमन और शांति की दुआ मांगी गई। जबकि जलसा में मुंबई के सैयद नजमुल होदा, कोलकाता के शहबाज रजा नूरी, गिरिडीह के शम्स तबरेज सहित भागलपुर के नामचीन उलेमाओं ने अपने कलाम से लोगों को सूफी संतों का पैगाम बतलाया।

इस दौरान उलेमाओं ने समाज में एक दूसरे के साथ भाईचारा कायम करने का संदेश भी दिया। मजार कमेटी के लोगों ने बताया कि गुरुवार को बनारस के कव्वाल आबिद अनवर और मुजफ्फरपुर के शब्बर चिश्ती अपने कलाम की प्रस्तुति देंगे।