
रिपोर्ट – सैयद ईनाम उद्दीन
सिल्क टीवी/भागलपुर (बिहार) : श्वेत क्रांति के सपनों को साकार करने के लिए सरकार की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही है। किसानों की तर्ज पर अब पशुपालकों को बिना किसी गारंटी के 1.5 लाख रुपये तक केसीसी योजना का लाभ दिया जा रहा है।

लेकिन दूसरी तरफ भागलपुर के तिलकामांझी स्थित मवेशी अस्पताल में पशु चिकित्सा के नाम पर पशु पालकों को लूटा जा रहा है। यहां के डॉक्टर सैंपल वाली दवा बेचते हैं।

इतना ही नहीं डॉक्टर साहब पशु पालकों को पुर्जे पर दवाई लिखने के बाद अपने चेंबर से ही पैसे लेकर दवाई देते हैं। यह हम नहीं बल्कि पशु का ईलाज करवाने आए लोग कह रहे हैं।

वहीं ड्यूटी में तैनात पशु चिकित्सक राजीव कुमार की बात सुन कर आपके होश उड़ जायेंगे। डॉक्टर साहब कहते हैं कि अस्पताल में मेडिकल संचालक दवाई बेचते हैं और इसकी जानकारी सभी को है।

जबकि दूसरी डॉ. राजीव खुद का बचाव भी करते दिखे। अब इन्हें कौन समझाए कि किसी भी सरकारी अस्पताल में निजी मेडिकल संचालक द्वारा दवा बेचना गैर कानूनी है।

मवेशी अस्पताल में पशु चिकित्सा के नाम पर लूट मची है। मवेशीयों के ईलाज के नाम पर यहां के डॉक्टर पशु पालकों से रुपए ऐंठ रहें हैं। अब देखना यह है कि जिला प्रशासन पूरे मामले पर क्या एक्शन लेता है।