भागलपुर के मायागंज अस्पताल में पहले ब्लैक फंगस मरीज की मौत, अस्पतालों में एंफोटेरेसिन-बी इंजेक्शन की मांग बढ़ी…

भागलपुर के मायागंज अस्पताल में इलाजरत जिले के पहले ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) मरीज की मौत हो गयी। इससे पहले बांका जिले के रजौन निवासी ब्लैक फंगस के शिकार मरीज की मौत मायागंज अस्पताल में हुई थी। हालांकि उस मरीज की मौत की पुष्टि अस्पताल प्रशासन कर सका था, ,क्योंकि लाश को परिजन बिना बताये ही लेकर चले गये थे। तातारपुर स्थित डॉ. ओबेद अली के अस्पताल में बतौर कंपाउंडर कार्यरत जितेंद्र कुमार के 42 साल के भाई (निवासी नाथनगर) को 18 मई को मायागंज अस्पताल की आईसीयू में भर्ती कराया गया था, जहां बुधवार दोपहर बाद करीब सवा तीन बजे इलाज के दौरान मौत हो गयी। मृतक 19 मई को कोरोना पॉजिटिव हुआ था।28 में से छह डोज ही एंफोटेरेसिन-बी इंजेक्शन पड़ा था।
भागलपुर के पहले ब्लैक फंगस के मरीज का इलाज पहले डॉ. ओबेद अली के पास तो बाद में दो दिन तपस्वी हॉस्पिटल और पांच दिन तक पल्स हॉस्पिटल में चला था। इस दौरान युवक में ब्लैक फंगस के लक्षण मिले तो उसे मायागंज अस्पताल में डॉ. विनय कुमार की यूनिट में भर्ती कराया गया। इस मरीज के इलाज के क्रम में दो दिनों तक छह डोज एंफोटेरेसिन-बी का इंजेक्शन दिया गया था। कुल 28 डोज एंफोटेरेसिन-बी का इंजेक्शन लगनी थी, लेकिन इससे पहले ही बुधवार को इलाज के दौरान मौत हो गयी। मायागंज अस्पताल के अधीक्षक डॉ. असीम कुमार दास ने बताया कि ब्लैक फंगस से ग्रसित 42 साल के युवक की मौत आईसीयू में हुई है। गुरुवार को 40 वॉयल एंफोटेरेसिन-बी पटना से मंगाया गया है। चूंकि मायागंज अस्पताल में चार और ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज चल रहा है। ऐसे में 40 में से 24 एंफोटेरेसिन-बी का वॉयल अब तक खर्च हो चुका है। ऐसे में स्पेशल मैसेंजर को एंफोटेरेसिन-बी का इंजेक्शन लाने के लिए फिर पटना भेज दिया गया है। वहीं मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हेमशंकर शर्मा ने बताया कि एक मरीज को पूरे इलाज के दौरान एंफोटेरेसिन-बी का इंजेक्शन 14 दिनों तक दिया जाता है। ऐसे में अब ब्लैक फंगस यानी म्यूकोरमाइकोसिस के मामले अस्पताल में बढ़कर पांच तक (इनमें से एक की मौत) पहुंच चुकी है तो अब एंफोटेरेसिन-बी का इंजेक्शन की और ज्यादा जरूरत होगी।