
सैयद ईनाम उद्दीन
सिल्क टीवी/भागलपुर (बिहार )
कोरोना की दूसरी लहर के बीच ब्लैक फंगस को बिहार सरकार ने महामारी घोषित कर दिया है। राज्य में इसके रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। ब्लैक फंगस को एपिडेमिक डिजीज एक्ट के तहत महामारी घोषित किया गया है। वहीं ब्लैक फंगस महामारी घोषित होने के साथ ही स्वास्थ्य विभाग ने कई गाइड लाइन भी जारी की है। इधर भागलपुर जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल में भी ब्लैक फंगस से एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है, जबकि डॉक्टर ओबैद अली के वॉर्ड में मुंगेर जिले के दो संक्रमित मरीज का इलाज चल रहा है। वहीं मायागंज अस्पताल प्रबंधन की ओर से आईसीयू और इमरजेंसी वार्ड में भी रोगियों को रखने की व्यवस्था की गई है। बता दें ब्लैक फंगस से राज्य में 27 संक्रमित मरीज ठीक भी हुए हैं, जबकि 3 लोगों की मौत हो चुकी है। मायागंज अस्पताल के चिकित्सक डॉ. ओबैद अली के मुताबिक अगर थोड़ी सी सावधानी रखी जाए और प्रारंभ में लक्षण की पहचान डॉक्टर की सलाह से कर ली जाए तो जान बच सकती है। डॉ. ने बताया कि देश के कई राज्यों में म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस नई दशहत के रूप में सामने आया है। रोजाना इसके नए मामलों ने चिंता बढ़ा दी है। ऐसे में थोड़ी सतर्कता बरतकर हम इस फंगस से खुद को बचा सकते हैं। फिजीशियन डॉक्टर ओबैद अली की माने तो ब्लैक फंगस एक फंगल बीमारी है जो दांत, आंख, नाक, मुंह के जरिए दिमाग तक फैल सकती है। यह संक्रमण ज्यादातर उन्हीं मरीजों में देखने को मिला है, जिन्हें कोरोना के इलाज के दौरान लंबे समय तक स्टेरॉयड दी गयी हो या ऑक्सीजन के सपोर्ट पर रहे हो। साथ ही कहा कि डायबिटीज और अन्य बीमारियों से पीड़ित कोरोना के मरीजों को ब्लैक फंगस होने का सबसे ज्यादा खतरा होता है।