
रिपोर्ट – सैयद ईनाम उद्दीन
सिल्क टीवी/भागलपुर (बिहार) : मान्यता है कि भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने की खुशी में सदियों से दीपावली त्योहार को प्रकाश पर्व के रूप में मनाने की परंपरा चली आ रही है। पहले इस त्योहार को जगमगाते दीपों और रोशनी के साथ मनाया जाता था।

वहीं मिट्टी के दिए की बिक्री होने से कुम्हारों की दीपावली बेहतर हो जाती थी। लेकिन पिछ्ले दो दशक से कुछ लोगों ने इसे मनाने का तरीका ही बदल लिया है। अब जगमगाते दीपों के स्थान पर चायनीज झालर का इस्तेमाल होता है। इधर पर्यावरण संरक्षण को लेकर इस बार भागलपुर भीखनपुर गुमटी नंबर 03 स्थित एस. ग्लोबल स्कूल के शिक्षक और विद्यार्थियों ने प्रदूषण रहित दीपावली मनाने का संकल्प लिया है।

बुधवार को स्कूल प्रांगण में बच्चों ने इको फ्रेंडली दिवाली का संदेश देते हुए कई आकर्षक रंगोली बनाई। छात्र छात्राओं ने विभिन्न प्रकार की रंगोली बनाकर सदभाव और प्रेम के साथ त्योहार मनाने का संदेश दिया। साथ ही दूसरों को जागरूक करने की बात भी कही।

एस. ग्लोबल स्कूल की छात्रा निभा कुमारी ने बताया कि टीचर्स ने सभी स्टूडेंट्स को पटाखों से होने वाले दुष्परिणामों की जानकारी दी है। जिसके बाद उसने अब पटाखे नहीं छोड़ने का संकल्प लिया है। जबकि शिक्षिका साधना गुप्ता ने कहा कि शिक्षित और जागरूक होने के कारण हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम दूसरों को भी प्रदूषण के दुष्परिणाम से अवगत कराएं।

उन्होंने बताया कि कई बार बच्चे बेजुबान प्राणी को भी पटाखों का शिकार बना लेते हैं। कभी कुत्ते की दुम पर पटाखों की लड़ी लगाते हैं, तो कभी शोर करने वाले पटाखों से उन्हें डराते हैं। जिसपर अभिभावकों को ध्यान रखने की जरूरत है। विद्यालय के प्रिंसिपल प्रमोद मिश्रा ने कहा कि दीपावली खुशी और सुख शांति का पर्व है। जिसे दीप उत्सव के रूप में मनाना चाहिए। साथ ही उन्होंने बच्चों द्वारा आकर्षक रंगोली बनाए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की।